महाराष्ट्र के वज़ीर मुहम्मद आरिफ़ नसीम ख़ान ने मुसलमानों को सरकारी मुलाज़मतों और तालीमी इदारों में 5 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात दिए जाने पर हुकूमत महाराष्ट्र के फ़ैसला को तारीख़ी और इंकलाबी क़रार दिया।
उन्होंने कहा कि मुल्क में मुख़्तलिफ़ सर्वे किए जाने के बाद ये बात कही जा सकती है कि मुसलमानों मआशी और तालीमी तौर पर पसमांदा है जबकि मर्कज़ी हुकूमत की सच्चर कमेटी और रियासती हुकूमत की रहमान कमेटी भी मुसलमानों की पसमांदगी की तौसीक़ करचुकी है और दोनों ही कमेटियों ने मुसलमानों को सरकारी मुलाज़मतों और तालीमी शोबों तहफ़्फुज़ात दिए जाने का सही इशारा दिया।
वज़ीर मौसूफ़ ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि दस्तयाब आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ रियासत महाराष्ट्र में सरकारी मुलाज़मतों में मुसलमानों का तनासुब इंतिहाई कम है और इस तरह मुसलमानों को मख़सूस कोटा फ़राहम करते हुए उन्हें समाजी और मआशी तौर पर बाइख़तियार और मजबूत बनाने की हुकूमत महाराष्ट्र ने सही कोशिश की है।
यहां इस बात का तज़किरा भी ज़रूरी है कि कांग्रेस एन सी पी हुकूमत ने सियासी तौर पर अहम समझे जाने वाले एक फ़ैसले के तहत सरकारी मुलाज़मतों और तालीमी शोबों में मराठों को 16 फ़ीसद और मुसलमानों को 5 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने का ऐलान किया है।