महाराष्ट्र हिंसा के बाद आज दलित संगठनों ने किया बंद का ऐलान

पुणे में सोमवार को दो गुटों में झड़प के बाद आज विभिन्न दलित संगठनों ने महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है. बंद की वजह से 40 हज़ार से ज्यादा स्कूल बसें नहीं चलेंगी. बता दें कि पिछले दो दिनों से महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहे हैं हालंकि अब हालात क़ाबू में बताए जाते हैं.

महाराष्ट्र के पुणे में दलितों और मराठा संगठन के लोगों के बीच सोमवार को हुई झड़प ने बड़ी हिंसा का रूप धर लिया और मंगलवार को भी जारी रहा। पुणे से निकली आग ने मुंबई को बुरी तरह प्रभावित किया जिसके कारण बसों पर पथराव और तोड़-फोड़ की गई जबकि कई जगह आगज़नी की घटनाएं हुईं.

डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के पोते और सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश आंबेडकर सहित आठ संगठनों ने महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है. प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने न्यायिक जांच के जो आदेश दिए गए हैं वो उन्हें मंजूर नहीं हैं.

हिंसक घटनाओं को देखते हुए औरंगाबाद में धारा-144 लागू कर दी गई है. डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं. नासिक में दलित संगठनों ने सड़कें जाम कीं और मुंबई में रेल रोको आंदोलन किया. औरंगाबाद और अहमदनगर के लिए बस सेवा बंद कर दी गई जबकि कई लोकल ट्रेनों की सर्विस भी प्रभावित हुई.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा कि भारत के लिए आरएसएस और भाजपा के फासीवादी सोच है कि वो भारतीय समाज में दलितों को उठने नहीं देना चाहते हैं. महाराष्ट्र दंगे के बहाने उन्होंने ऊना मामला, रोहित वेमुला और भीम कोरेगांव को याद किया और उनके प्रतिरोध को दलितों की आवाज़ तक बताया है.

ग़ौरतलब है कि पुणे में सोमवार को उस समय हिंसा भड़की भीम कोरेगांव में लोग शौर्य दिवस मना रहे थे. इस दौरान दलितों और मराठा संगठन के लोगों के बीच हिंसा भड़क गई। हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई और कई के घायल होने की ख़बर है.

हिंसा के बाद मुंबई में जगह जगह प्रदर्शन हुए वहीं 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मुंबई के चेंबूर सहित सभी प्रमुख स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

200 साल पहले 1818 में पेशवा को अंग्रेजों ने दलितों के साथ मिलकर हराया था. 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने पर लाखों की संख्या में दलित शौर्य दिवस मनाने जमा हुए थे.

पुलिस के मुताबिक, दलित समुदाय के पांच लाख से ज्यादा लोग शौर्य दिवस मनाने के लिए जमा हुए थे. भीम कोरेगांव के जय स्तंभ पर मुख्य कार्यक्रम शांतिपूर्वक चल रहा था तभी पड़ोस के गांवों में हिंसा भड़क गई. कार्यक्रम का आयोजन हर साल किया जाता था, हालांकि इस बार हिंसा भड़क गई.