महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति से सऊदी अरब की पहचान को नुकसान होगा- सऊदी उलेमा

सऊदी अरब में जहां बहुत सी महिलाएं ड्राइविंग का अधिकार मिलने पर जश्न मना रही हैं, वहीं कुछ लोगों को अब भी यह फैसला गले नहीं उतर रहा है। उन्हें लगता है कि इससे सऊदी अरब की पहचान को नुकसान होगा।

सऊदी अरब के बंदरगाह शहर जेद्दाह में रहने वाले एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी वादिह अल मारजौकी कहते हैं, इस्लाम में इसकी इजाजत नहीं है। हमारे पिता या दादा के समय में कोई ऐसी महिला नहीं थी जो कार चलाती थी।

वह कहते हैं कि उन्होंने अपने तीनों दामादों को सलाह दी है कि वे अपनी पत्नियों को कभी कार चलाने की अनुमति ना दें। यानी वह अपनी बेटियों को ही कार चलाने से रोक रहे हैं। वह कहते हैं, “यह बहुत ही मुश्किल होने वाला है। पहले महीने में तो अल्लाह हमारी मदद ही करे।

सऊदी अरब दुनिया का अकेला देश था जहां अब तक तक महिलाओं के कार चलाने पर रोक थी। इस रोक को धार्मिक और सांस्कृतिक आधार पर सही ठहराया जाता रहा है। इतना ही नहीं, एक मौलवी का कहना है कि महिलाएं इतनी समझदार नहीं होती कि कार चला सकें।

वहीं एक और मौलवी का कहना है कि कार चलाने से महिलाओं के अंडाशय को नुकसान होगा और उनसे पैदा होने वाले बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होंगी।

पिछले साल सऊदी शाह ने महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार देने के फैसले को मंजूरी दी जिसे अब नौ महीने बाद लागू किया गया है। इतने महीनों में भी इस फैसले का विरोध कई हल्कों में कमजोर नहीं पड़ा है।

एक हालिया सर्वे में हिस्सा लेने वाले 25 फीसदी लोगों ने महिलाओं की ड्राइविंग पर लगे बैन को हटाने का विरोध किया। इनमें से एक तिहाई ऐसे थे जिन्हें इस फैसले से सांस्कृतिक परंपरा खतरे में दिखाई देती हैं।

हालांकि हाल के महीनों में सरकार के फैसले का विरोध करने के कारण कई लोगों पर कार्रवाई भी हुई है। लगभग 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें मौलवी, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता शामिल हैं। कई महिला कार्यकर्ताओं को भी विरोध का खमियाजा भुगतना पड़ा है।

सरकार समर्थकों का कहना है कि इस तरह के कदम जरूरी हैं क्योंकि अधिकारियों के कंधों पर मुश्किल जिम्मेदारी है। उन्हें एक तरफ उदारवादी सुधारों को लागू करना है तो दूसरी तरफ सामाजिक परंपराओं को भी बनाए रखना है।

कई लोग सरकार के फैसले का विरोध तो करते हैं लेकिन बहुत ही नपे तुले शब्दों में। दो चचेरे भाई कैस और अब्देलअजीज अल काहतान निजी तौर पर इस फैसले के हक में नहीं हैं, लेकिन शाही सरकार के फैसले का विरोध करने का साहस भी उनमें नहीं है।

26 साल के अब्देलअजीज कहते हैं, मैं इसका समर्थन करता हूं क्योंकि कुछ परिवारों में महिलाओं का ड्राइविंग करना बेहद जरूरी है। लेकिन मैं समझता हूं कि जिस महिला के सामने कार चलाने की कोई मजबूरी ना हो, उसे ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए।