मुंबई:हाजी अली दरगाह में औरतो के जाने की इज़ाज़त देने पे मुस्लिम धर्मगुरुओं ने एक सी राय देते हुयें कहा है कि इस्लाम में महिला मस्जिद में नमाज़ अदा कर सकती है लेकिन इस्लाम महिला को दरगाह में जाने की इज़ाज़त नही देता है
मौलाना खालिद फिरंगी महली ने इस बाबत राय देते हुयें कहा संविधान धर्म को आज़ादी देता है कि वो कायदे और कानून से देश में धर्म की शिक्षाओं को कर सकता है चुकी इस्लाम में महिलाओ के दरगाह में जाने पे मनाही है इसलियें संविधान के हिसाब से हमें हक है कि हम अपने बताये मज़हब की बातो को आजादी से कर सके .
दारुल उलूम देवबंद ने भी औरतो के दरगाहो में जाने पे इस्लामिक नजरिये से मनाही वाली राय रखी है
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हाजी अली दरगाह पर महिलाओं के प्रवेश से पाबंदी हटा दी है शुक्रवार को ये ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रस्ट की ओर से दरगाह के भीतरी गर्भगृह में प्रवेश पर पाबंदी को गैरजरूरी माना और बैन हटा लिया
हाजी अली ट्रस्ट हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा।
अपने फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिलाओं को हाजी अली दरगाह में मज़ार के भीतर तक जाने की अनुमति दे दी है। पहले महिलाओं को केवल बाहर तक ही जाने की इजाजत थी, अंदर मज़ार तक जाने की नहीं। इसके खिलाफ मुस्लिम महिला आंदोलन नाम की एक संस्था ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि जहां तक मर्द जा सकते हैं वहां तक औरतों को जाने की अनुमति क्यों नहीं है। इसी याचिका पर फैसले सुनाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिलाओं को दरगाह के भीतरी गर्भगृह तक जाने की अनुमति दी है।