महिला भी दे सकती है पुरुष को तलाक: दरगाह आला हज़रत

उत्तर प्रदेश (बरेली) बीबी अपने शौहर को तलाक दे सकती है या नहीं, इस पर दरगाह आला हजरत से सय्यद इक्तेदार अली ने फतवा माँगा था , इस्लाम के अंतर्गत तलाक का हक सिर्फ पुरुष को है। महिला नहीं। पहली बार तलाक जैसे मसले पर नया मामला सामने आया है ,दरगाह आला हजरत के फतवे को माने तो अब महिला भी तलाक दे सकती है। जिसे शरीयत में तसवीज-ए-तलाक का नाम दिया गया है। फतवे के जवाब मे पहली बार नई जानकारी सामने आई है। मुफ्तियों का कहना है कि महिला भी तलाक दे सकती है। यह कैसे मुमकिन हो सकता है, उसका तरीका भी बताया गया है। तरीके को तसवीज-ए-तलाक कहा है। मीडिया रिपोर्ट अनुसार तलाक ऐसा मुद्दा है, जिस पर लंबे समय से बहस चल रही है। उलमा पर सवाल दागे जाते रहे हैं कि जब मजहब-ए -इस्लाम महिलाओं को अधिकार दिए जाने की पैरवी करता है तो फिर तलाक का हक सिर्फ पुरुष को ही क्यों। यह हक महिलाओं को भी मिलना चाहिए था।

निकाह के वक्त शौहर बीवी से यह कह दे कि मैं तुझे यह इख्तेयार देता हूं कि तू अपने आपको तलाक दे दे। इस मजमून को किसी आलिम से लिखवाया भी जा सकता है। ऐसी सूरत में बीवी ऐसे शौहर को जो उसकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। मसलन नशे का लती है, अपराध में लिप्त है, मारपीट करता है, घर में अमन-चैन नहीं है या किसी बड़ी बीमारी में घिरा है तो बीवी अपने आपको तलाक दे सकती है। शौहर ने निकाह के वक्त एक तलाक का इख्तेयार दिया तो एक, दो का दिया तो दो और तीन तीन का दिया तो तीन तलाक हो जाएंगी।

दरगाह आला हजरत के प्रवक्ता मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी ने कहा है कि तसवीज-ए-तलाक का जिक्र बहारे शरीयत में पेज 25 से 41 तक है। दुर्रे मुख्तार जो कि फिकाह-ए-हनफी की किताब है, उसकी चौथी जिल्द में पेज 565 से 587 तक यह मसला बयान किया गया है। साफ हो जाता है कि महिला भी तलाक दे सकती है। उसे तलाक हो जाएगी। यही बात दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम में फतवा विभाग के अध्यक्ष मुफ्ती मुहम्मद सय्यद कफील हाशमी ने भी सवाल के जवाब में कही।

मैनचेस्टर में रहने वाले मुहम्मद मसूद अहमद भी बेटी की शादी से पहले दरगाह से यही सवाल पूछ चुके हैं। मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी का कहना कि यूरोप में ज्यादातर मुसलमान बेटी, बहन की शादी तसवीज-ए-तलाक का हक लेकर ही करते हैं, क्योंकि वहां शादियां जल्द टूट जाती हैं।

इस मसले पर देवबंद की राय जानी गई तो जमीयत-ए-उलमा के जिला महासचिव मुफ्ती अबू जफर का कहना है कि महिला के लिए तलाक का एक रास्ता खुला यानि काजी की अदालत ही है। उसके अलावा महिला खुद को तलाक नहीं दे सकती।