साबिक़ वजीरे आला जीतन राम मांझी की रिहायशगाह में लगे आम-लीची के पेड़ों पर पहरा बिठा दिया गया है। चूंकि 1, अणे मार्ग वजीरे आला का सरकारी पनाहगाह है, इसलिए सरकार ने 24 पुलिस मुलाज़िमीन को तैनात कर दिया है। इस ताकीद के साथ कि साबिक़ वजीरे आल के घर एक भी आम-लीची जाने पाए। हालत यह है कि सारे फल पक कर टपक जा रहे हैं, मगर मांझी फैमिली के हलक से नीचे नहीं उतरने दिया जा रहा। वजीरे आला की कुर्सी छोड़ने के बाद भी मांझी इसी रिहाइशगाह में डटे हैं। वजीरे आला नीतीश कुमार 7, सर्कुलर रोड में रह रहे हैं।
दस्तूरुल अमल के मुताबिक, वजीरे आला रिहाइशगाह 1, अणे मार्ग में फलों और सब्जियों का यूज अगर वजीरे आला खुद करते हैं, तो काेई दिक्कत नहीं है। उन्हें इसका खुसुसि हक़ है। पर, उसका यूज कोई दूसरा करे या उन फलों-सब्जियों का कारोबारी इस्तेमाल किया जाए तो कीमत सरकारी खजाने में जमा करना होगा।
हम के तर्जुमान डॉ. दानिश रिजवान ने कहा कि हुकूमत को अवाम से ज्यादा फलों-सब्जियों की फिक्र है। मांझी या उनके अहले खाना आम, कटहल, लीची तोड़ लें, इसके लिए 8 एसआई 16 कांस्टेबल की तैनाती की गई है। मांझी को रिहाइशगाह के सिवा कोई सहूलत नहीं दी जा रही है। फोन केबल काट दिया है। ज़राये के मुताबिक, चटनी के लिए आम तोड़ने पर पिछले सप्ताह एक माली को वहां से हटा दिया गया था।
लीची और आम मांझी को दे दें: नीतीश
बिहार के वजीरे आला नीतीश कुमार ने जुमेरात को अफसरों को हुक्म दिया कि वजीरे आला रिहाइशगाह में लगे फलों को उसमें रह रहे साबिक़ वजीरे आला जीतन राम मांझी को दे दें।
वजीरे आला नीतीश कुमार का यह बयान साबिक़ वजीरे आला जीतन राम मांझी के उस बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यहां बंगले लगे लीची, आम और कटहल के पेड़ों की निगरानी के लिए पुलिस मुलाज़िम तैनात किए गए हैं ताकि वे और उनका अहले खाना इन फलों को न खा सके। नीतीश कुमार ने यहां पर मीडिया से कहा, “मुझे अवाम की फिक्र है न कि फलों, खास तौर पर आम की।”
नीतीश कुमार ने कहा, “अगर फल खरीदने की गुंजाइश हुई तो, मैं अपनी तनख्वाह से उन्हें खरीदने के लिए तैयार हूं, लेकिन फल मांझी और उनके अहले खाना को दे देने चाहिए।”
नीतीश कुमार ने कहा, “न ही मुझे इस बारे में पता है और न ही मुझे जानकारी दी गई। कुछ लोगों को बहुत कम वक़्त में बहुत-सी चीजों का मोह हो जाता है। हमें अवाम की ज्यादा फिक्र है और जिन लोगों को आमों की फिक्र है उन्हें फल दे देने चाहिए।”