मांझी से डुमाईगढ़ तक बिहार की हजारों एकड़ जमीन यूपी ने कब्जा किया

यूपी के नये नक्शे में बिहार की जमीन को एडजस्ट कर लिया गया है। मांझी से डुमाईगढ़ तक की हजारों एकड़ सरयू सरहदी ज़मीन पर बिहार के किसानों का सालों से कब्जा रहा है। ये किसान उस ज़मीन की मालगुजारी रसीद भी कटाते रहे हैं, लेकिन यूपी के नये सर्वे के बाद बने वहां के नक्शे में चांद दियारा मौजा की अपनी ज़मीन देख उनके होश उड़ गये हैं। घबड़ाये किसानों ने जुमा को मांझी के सीओ को इस सिलसिले में दरख्वास्त देकर मसला के हल की गुहार लगाई।

मांङी के किसानों का कहना है कि पहले रेल पुल के 10 नंबर पाये तक ही यूपी की सरहद थी। अब नये नक्शे में जुनूब की तरफ बढ़ कर चार नंबर पाये तक यूपी की सरहद दिखाई गई है। किसानों ने बताया कि 1972 में भी यहां यूपी और बिहार के ज़मीन के हिस्सों को ले दोनों रियासतों के लोगों के दरमिया तनाज़ा पैदा हुआ था। तब सारण व बलिया के मौजूदा डीएम ने इस तनाजे को सुलझाया था। मापी करा दोनों रियासतों का सरहद भी पुराने रेल पुल के पाये पर निशानदेही कर लिया गया था। छपरा-बलिया रेलखंड को जब छोटी लाइन से बड़ी लाइन में तब्दील किया गया तो पुराने रेल पुल के पाये हट गये और सरहद की वह लाइन भी मिट गयी। लेकिन यहां के किसानों को वह दस नंबर पाया याद है, जहां से यूपी का सरहद निशानदेही दर्ज़ किया गया था।

मांझी के किसान उमाशंकर सिंह, मदन सिंह, महेश यादव, हरेन्द्र यादव व अन्य ने बताया कि यूपी के नये नक्शे में दर्शायी गयी जो ज़मीन उनकी है, उसे वे किसी किमत पर नहीं छोड़ने वाले। वे उस ज़मीन का सरकार को लगान देते हैं और वह उनकी पुश्तैनी ज़मीन है। यूपी सरकार इस ज़मीन को उनसे नहीं छीन सकती। वे इस मुद्दे को लेकर जल्द ही सारण व बलिया के डीएम से भी मिलने वाले हैं। डीएम के सतह पर बात नहीं बनी तो वे तहरीक छेड़ेंगे।