माज़ूरिन की सलाहीयतों से बेहतर मुस्तक़बिल

हैदराबाद 21 जून : मुहम्मद महमूद अली डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर रियासत तेलंगाना ने आईडीयल इन्फ़ार्मेशन सेंटर बराए माज़ूरिन ( नाबीना , गूँगे , बहरे) तलबा-ए-और तालिबात और उनके वालिदैन और रोज़ा दारों के लिए मुनाक़िदा दावते इफ़तार से ख़िताब करते हुए कहा कि इस मुल्क और रियासत तेलंगाना में हम अपनी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। ये रियासत गंगा जमुना तहज़ीब और रूह-दारी को बढ़ावा देता है। जहां हिंदू , सिख और ईसाई भाई अपने अपने तहवारों में एक दूसरे को मदऊ कर के रूह-दारी और उखुवत का मुज़ाहरा करते हैं। इसी तरह मुस्लमान भी अपने ईदैन में उन्हें मदऊ कर के रूह-दारी और भाई चारगी का अज़ीम मुज़ाहरा करते हैं।

एसे में गूँगे और बहरे-ओ-माज़ूरिन के लिए दावते इफ़तार और उन्हें ख़ुशीयों में शामिल करना अल्लाह और बंदों के नज़दीक भी एहमीयत का हामिल है। में इस कोशिश पर आई आई सी डी को मुबारकबाद देता हूँ। तालीमी मुज़ाहरा बड़े ही दिलनशीन अंदाज़ से ( तरानों के ज़रीये ) पेश किया उनकी इस कोशिश-ओ-जहद को देखकर डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर दम-ब-ख़ुद हो गए और आई आई सी डी के ज़िम्मेदार और उनकी टीम को मुबारकबाद दी।

इस मौके पर मुहम्मद महमूद अली से उन माज़ूर तलबा-ए-का तआरुफ़ करवाया गया जो कंप्यूटर्स और आला तालीम से वाबस्ता हैं।ज़हीरुद्दीन अली ख़ां मौनेजिंग एडिटर रोज़नामा सियासत ने आईडीयल इन्फ़ार्मेशन सेंटर डिसेबल्ड के तहत जो माज़ूर तलबा-ए-तालिबात साईंस-ओ-टेक्नालोजी की तालीम हासिल करते हुए अपने पैरों पर आप खड़े हो कर मआशी मौकुफ़ और दूसरों की मदद को अपना मक़सद बनाए हैं उन्हें मुबारकबाद दी और कहा कि मुझे मुसलसिल तीन सालों से उनकी दावते इफ़तार और दूसरे प्रोग्राम्स में शरीक होने का मौक़ा मिल रहा है। अल्लाह आई आई सी डी की कोशिश और माज़ूरिन के लिए जो कोशिश की जा रही है इस को क़बूल फ़रमाए। ज़फ़र जावेद सेक्रेटरी सुलतान उल-उलूम एजूकेशनल सोसाइटी के हाथों वेबसाइट का इफ़्तेताह अमल में आया। जिसमें आई आई सी डी का तआरुफ़, और आई आई सी डी के मुख़्तलिफ़ मालूमात और कारकर्दगी , रहबरी-ओ-रहनुमाई-ओ-दुसरे उमूर के साथ उन्हें रिश्ता-ए-आज़दवाज से मुंसलिक करने के लिए रहबर-ओ-दुसरे उमूर को शामिल किया गया है।

उन्होंने आई आई सी डी की कोशिश पर मुबारकबाद दी। हामिद मुहम्मद ख़ां अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद तेलंगाना-ओ-अडीशा ने कहा कि क़ुदरत का ये निज़ाम है कि जब वो किसी इन्सान को एक सलाहीयत से महरूम करता है तो उसे दूसरी सलाहीयत वाफ़र मिक़दार में अता करता है।

उन्होंने इन तलबा-ए-तालिबात की असरी और दीनी उलूम में दिलचस्पी को क़दर की निगाहों से देखने पर-ज़ोर दिया कि और कहा कि वो मौजूदा टेक्नालोजी का भरपूर इस्तेमाल करते हुए अपनी अख़लाक़ी दीनी , सालिह एतेक़ादात, तालीम-ओ-तर्बीयत से जड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि उनमें साईंस-ओ-टेक्नालोजी के मैदान में दिलचस्पी ज़्यादा पाई जा रही है।

यहां तक कि वो कंप्यूटर्स की मदद से एसे डिज़ाइन बना रहे हैं जहां देखने के बाद आँखें शश्दर रह जाती हैं। हाफ़िज़ रशादुद्दीन नाज़िम शहर जमात-ए-इस्लामी हिंद ग्रेटर हैदराबाद और सदर नशीन आईडीयल इन्फ़ार्मेशन सेंटर फ़ार डिसेबल्ड ने कहा कि किसी इन्सान में अगर देखने, सोनचने और बोलने की क़ुव्वत मौजूद हो तो वो इन सलाहीयतों को ब-रू-ए-कार लाते हुए फ़लाही उमूर अंजाम दे सकता है लेकिन ये लोग जो कि इन नेअमतों से महरूम हैं उस के बावजूद उनकी सलाहीयतें बड़ी ताबनाक हैं। मिल्लत-ए-इस्लामीया के लिए ये ज़रूरी है कि अह्ले ख़ैर उनके हक़ में अपना तआवुन दराज़ करें।

तक़रीबन 1000 से ज़ाइद माज़ूरिन ने दावते इफ़तार में शिरकत की। शहि नशीन पर मुहम्मद अज़हरुद्दीन, वहीद दाद ख़ां , सुलतान मुही उद्दीन, अबदुलमजीद , मुनव्वर सुल्ताना मुहम्मद इमाम तहसीन और दूसरे मौजूद थे।