नई दिल्ली, १९ दिसंबर (पी टी आई) दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि बदनाम साबिक़ हिंदूस्तानी सिफ़ारतकार माधूरी गुप्ता के ख़िलाफ़ फ़र्द-ए-जुर्म आइद करने के सिलसिले में 7 जनवरी को फ़ैसला सुनाया जाएगा। मुबय्यना तौर पर माधूरी गुप्ता ने
हस्सास मालूमात पाकिस्तान की आई एस आई को फ़राहम की थीं। एडीशनल सेशन जज पवन कुमार ने दिल्ली पुलिस के
मुबाहिस की समाअत के बाद अपना फ़ैसला महफ़ूज़ करदिया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि माधूरी गुप्ता ने जम्मू-ओ-कश्मीर में
फ़ौज की ताय्युनाती और अफ़्ग़ानिस्तान में हिंदूस्तानी प्रोजेक्ट्स के बारे में मालूमात आई एस आई को फ़राहम की थीं।
ये बात हिंदूस्तानी हाई कमीशन बराए ईस्लामाबाद की हफ़तावार जायज़ा रिपोर्ट में भी शामिल है। वकील इस्तिग़ासा राजीव मोहन ने भी कहा कि इन रिपोर्टस का मवाद हकूमत-ए-हिन्द की मिल्कियत है और वज़ारत-ए-दिफ़ा के दायरा कार में शामिल है। क़ब्लअज़ीं अदालत अपना फ़ैसला 7 दिसंबर को सुनाने वाली थी, लेकिन उसे मुल्तवी करदिया गया, क्योंकि जज ने पाकिस्तान में तबदीलीयों से मुताल्लिक़ दौर के बारे में रिपोर्ट के मवाद के मौक़िफ़ की वज़ाहत तलब की थी। ये रिपोर्ट मुबय्यना तौर पर माधूरी गुप्ता ने पाकिस्तान में आई ऐस आई एजैंटस के सामने अफ़शा-ए-की थी।
माधूरी गुप्ता के वकील सफ़ाई जोगेंद्र ध्या ने कहा कि रिपोर्ट में ऐसे मुआमलात शामिल थे, जो पहले ही वसीअ पैमाने पर
पाकिस्तानी ज़राए इबलाग़ मैं शाय हो चुके थे। 53 साला माधूरी गुप्ता हिंदूस्तानी हाई कमीशन बराए ईस्लामाबाद मैं सेकन्ड सैक्रेटरी (सहाफ़त-ओ-इत्तिलाआत) के ओहदा पर फ़ाइज़ थीं। उन्हें 22 अप्रैल 2010 को दिल्ली पुलिस के ख़ुसूसी शोबा ने दिफ़ा से मुताल्लिक़ हस्सास मालूमात पाकिस्तान की आई ऐस आई को फ़राहम करने के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार किया था। इन पर एतिमाद शिकनी, मुजरिमाना साज़िश और सरकारी राज़ क़ानून की दीगर मुख़्तलिफ़ दफ़आत के तहत इल्ज़ामात आइद किए गए हैं। इल्ज़ाम आइद किया गया है कि माधूरी गुप्ता ने बाअज़ मख़सूस मालूमात पाकिस्तानी ओहदा दारों को फ़राहम की हैं और आई ऐस आई के ओहदा दारों मुबश्शिर रज़ा राना और जमशेद के साथ मुसलसल रब्त रखे हुए थीं। फ़र्द-ए-जुर्म जुलाई 2010-ए-को अदालत में पेश किया गया, जिस में कहा गया है कि माधूरी गुप्ता पाकिस्तानी शहरी जमशेद के इश्क़ में मुबतला थीं और उन से शादी का मंसूबा बना रही थीं। सिफ़ारतकार ने उन की क़ियामगाह वाक़्य ईस्लामाबाद में नसब एक कम्पयूटर और ब्लैकबेरी फ़ोन इस्तिमाल करते हुए दोनों पाकिस्तानी जासूसों से रब्त बरक़रार रखा था। वो मार्च 2010 को रियासत जम्मू-ओ-कश्मीर का राना की हिदायात पर
दौरा करके रियासत की सालाना मंसूबा बंदी रिपोर्ट हासिल करचुकी थीं।