मानसून की कमी ग़िज़ाई अशिया की पैदावार में 10 फीसद कमी की इमकान(संभावना)

कीमतों में इज़ाफे का अंदेशा नहीं । खरीफ सीज़न के नुक़्सान की रबीआ सीज़न में पा बजाई की उम्मीद : वज़ीर ज़राअत शरद पवार का बयान

कुछ रियासतों में जारीया साल मानसून में कमी और तक़रीबा ख़ुशकसाली की सूरत-ए-हाल के नतीजे में मुल्क में जारीया साल खरीफ सीज़न में ग़िज़ाई अनाज‌ की पैदावार में 10 फीसद तक कमी आसकती है। जारीया साल खरीफ सीज़न में ये पैदावार 117.18 मिलियन टन पैदावार होसकती है। ताहम हुकूमत को इमकान(संभावना) है कि खरीफ सीज़न में पैदावार का जो नुक़्सान होगा वो रबीआ सीज़न में पूरा किया जा सकता है।

गुज़िशता(पिछले ) साल खरीफ सीज़न में ग़िज़ाई खाद्य की पैदावार 129.94 मिलियन टन रही थी। चावल की पैदावार में कमी आएगी और ये पैदावार तक़रीबन‌ 85.59 मिलियन टन तक होजाएगी जबकि पिछले साल चावल की पिया द्वार 91.53 मिलियन टन रही थी। मुल्क में चावल ही सब से ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है और खरीफ सीज़न में चावल ही की पैदावार ज़्यादा होती है। वज़ीर ज़राअत मिस्टर शरद पवार ने अख़बारी नुमाइंदों से बात चीत करते हुए कहा कि अब मौसमी हालात के मुताबिक़ जो अंदाज़े किए जा रहे हैं उन के नतीजे में खरीद सीज़न में ग़िज़ाई खाद्य की पैदावार जुमला 117.18 मिलियन टन होसकती है।

ये पैदावार पिछ्ले साल की बनिसबत कम होगी लेकिन पिछ्ले पाँच साल के दौरान 113 मिलियन टन का जो औसत रहा था इस से क़दरे ज़्यादा ही होगी। उन्हों ने कहा कि खरीफ सीज़न में जो कुछ भी कमी पैदावार में आएगी उस की तलाफ़ी रबीआ सीज़न में मुम्किन होसकेगी। उन्हों ने कहा कि जारीया साल खरीफ सीज़न में दीगर ग़िज़ाई खाद्य की तरह दालों की पैदावार में भी कमी आसकती है। पिछ्ले साल ये पैदावार 6.16 मिलियन टन थी जबकि जारीया साल उस की पैदावार 5.26 मिलियन टन होने का अंदाज़ा है।

उन्हों ने बताया कि मसालिहा जात की पैदावार भी जारीया साल मुतास्सिर होसकती है। मिस्टर शरद पवार ने कहा कि जारीया साल मानसून में कमी रही और कई रियासतों बिशमोल कर्नाटक महाराष्ट्रा गुजरात और राजिस्थान में बारिश कम हुई है और यहां कई ताल्लुक़ा जात को ख़ुशकसाली से मुतास्सिरा क़रार दे दिया गया है। इस सवाल पर कि आया पैदावार में कमी का कीमतों पर भी असर होगा मिस्टर शरद पवार ने कहा कि पिछ्ले साल के चावल और गेहूं का ज़ख़ीरा काफ़ी ज़्यादा है इस में कोई मसला नहीं होगा।

उन्हों ने कहा कि उन्हें फ़िक्र इस बात की है कि मार्किट में गेहूं आटा और शक्क‌र की कीमतों में इज़ाफ़ा(बडोत्री) हो रहा है। इस की वजह उन की समझ में नहीं आती क्योंकि खेती बहुत अच्छी है। मिस्टर पवार ने कहा कि वो इस मसले पर उमूर(मामलों ) सारफ़ीन के वज़ीर से बात चीत करेंगे। बाज़ार में कीमतों पर कंट्रोल करने केलिए गेहूं और शक्क‌र की मज़ीद मिक़दार( मात्रा) जारी करनी होगी। मिस्टर पवार ने कहा कि किसी वजह के बगैर कीमतों में इज़ाफ़ा काबिल-ए-क़बूल नहीं होसकता और वो शक्कर‍और‌-गेहूं वगैरह की कीमत में इज़ाफ़ा की वजह समझने से क़ासिर(असमर्थ ) हैं।

उन्हों ने कहा कि जारीया साल खरीफ सीज़न में तेल के बीजों की पैदावार भी मुतास्सिर होसकती है। उन्हों ने कहा कि सोयाबीन की पैदावार अच्छी रही है इस से दूसरी पैदावार में कमी को पूरा किया जा सकता है। हुकूमत की जानिब से जो आदाद‍ और‌-शुमार जारी किए गए हैं उन के बमूजब जारीया साल कपास और गिने की पैदावार भी मुतास्सिर होसकती है। अगर गिने की पैदावार मुतास्सिर होती है तो शक्कर की कीमतों में मज़ीद इज़ाफ़ा के अनुदेशों को मुस्तर्द नहीं किया जा सकता।

उन्हों ने कहा कि जारीया साल चूँकि मानसून की आमद ताख़ीर से हुई और बारिश भी मामूल से कम रही है उसे मैं पैदावार में कमी होसकती है ताहम उन का कहना था कि शुरू में पैदावार के ताल्लुक़ से जो उम्मीदें वाबस्ता(जुड़े ) की गई थीं वो बहुत कम थीं और अब सूरत-ए-हाल पहले की बनिसबत क़दरे(तुलना) बेहतर है।