माफी मांगें, तो काबीना में वापसी

वजीरे आला नीतीश कुमार ने कहा कि अगर भाजपा के लीडर उनसे माफी मांग लें, तो उन्हें काबीना में शामिल कर लूंगा। पीर को आवाम दरबार के बाद सहफ़ियों से बातचीत में उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह जवाब दिया, तो सवालों के बौछार भी शुरू हो गये। माफी एक होगी या इज़्तेमाई, क्या गलती हुई कि माफी मांगने की नौबत आ गयी है, इस पर कहा कि दो महीने में जो अनाप-शनाप बोले हैं, उसके लिए माफी मांग लें। सहफ़ियों का सवाल सीएम के इस जवाब के बाद भी नहीं थमा। पर, एक बार बोलने के बाद वजीरे आला माफीवाले मुद्दे पर दुबारा नहीं आये।

कहते हैं, उससे पीछे नहीं हटते : दरअसल, काबीना तौसिह नहीं होने पर भाजपा कायदीनों की तरफ से की जा रही तबसीरह को लेकर वजीरे आला से सवाल पूछा गया था। इस पर वजीरे आला ने कहा कि उन्हें इतनी फिक्र क्यों सता रही है? आखिर वे इतने बेचैन क्यों हैं? रियासत में अभी काबीना नहीं है क्या? जब से काम छूटा है, बेचैनी बढ़ गयी है। हर दिन उसी काम के लिए परेशान रहते हैं।

जो कुरसी के लिए परेशान रहता है, उसको ज़िंदगी फलसफा से क्या मतलब। हम जो कहते हैं, उससे कभी पीछे नहीं हटते। आज तक कभी भी हमें अपने सियासी या इंतेजामी फैसला से पीछे हटने की जरूरत नहीं हुई। बाकी लोग रोना रोते रहते हैं। हम कम बोलते हैं, इसलिए अपनी बात पर कायम रहते हैं। कुछ लोग हैं, जो ज़्यादा बोलते हैं, हर दिन बोलते हैं और पीछे कही गयी बातों को भूल जाते हैं। हमने एक साल पहले जो कहा था, उस पर अमल किया। अब कहा जा रहा है कि अचानक फैसला लिये हैं। एक साल पहले ही बता दिया था कि किस मुद्दे पर साथ रहना है। उस मुद्दे से वे भटक गये, तो अलग होना ही था, हो गये। अब तो हमारा फैसला हर दिन की वारदातों से सही साबित हो रही है। बिजली के शोबे में बेहतरी हो रहा है। यह हमारा अज़म है और इसे हमने 15 अगस्त, 2012 को गांधी मैदान से कहा भी है।