नई दिल्ली
मामूल से कम मानसून की वजह से ज़रई पैदावार में कमी के अंदेशों के पेशे नज़र मर्कज़ ने आज कहा कि मामूल से कम बारिश की वजह से पैदा होने वाली किसी भी इमकानी सूरत-ए-हाल से निमटने के लिए हर मुम्किना इक़दामात किए जा रहे हैं। अलावा अज़ीं रियासतों से भी इस सिलसिले में तैयारी करने के लिए कहा गया है।
हालाँकि मानसून अपने शैडूल से दो दिन क़बल 30 मई को साहिल केरला से टकराने का इमकान है, ताहम महिकमा-ए-मौसमीयत ने पेश क़ियासी की है कि जारीया साल मुसलसल दूसरी मर्तबा बारिश मामूल से कम रहेगी। हिन्दुस्तान में ज़रई शोबा बारिश पर बहुत ज़्यादा इन्हिसार करता है क्योंकि सिर्फ़ 40 फ़ीसद क़ाबिल काशत अराज़ी को आबपाशी के ज़रिए सेराब किया जा सकता है।
उमोर सारिफ़ीन के सेक्रेटरी केशव डी राजू ने कहा कि ये क़ियास है कि मानसून गुज़िश्ता साल की तरह बेहतर नहीं होगा। इस के नतीजे में इस फ़सल पर असर होसकता है जो आइन्दा साल दस्तयाब होगी और ये ख़्याल भी है कि सारिफ़ीन की तलब को पूरा करने हर मुम्किन इक़दामात किए जा रहे हैं।
2014 में बारिश 12 फ़ीसद कम हुई थी जिस के नतीजे में ग़िज़ाई अजनास की पैदावार 5 फ़ीसद घट गई थी।जारिया साल भी बारिश में कमी के अंदेशों से ज़रई शोबा पर मनफ़ी असरात मुरत्तिब होसकते हैं। जारिया साल मार्च अप्रैल में ग़ैर मौसमी बारिश की वजह से पहले ही किसानों को मसाइल का सामना है। कहा गया है कि मर्कज़ ने कम बारिश की पेश क़ियासी को देखते हुए मुल्क में 580 अज़ला के लिए हंगामी मंसूबा तैयार करलिया है।