जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख एच. डी. देवेगौड़ा ने बृहस्पतिवार को कहा कि आगामी चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने संबंधी बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के फैसले को विपक्षी एकता के बिखराव के रूप में नहीं देखना चाहिए।
पूर्व प्रधानमंत्री ने इस पर जोर दिया कि अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनाने के लिए अभी और वक्त है. उन्होंने मायावती के फैसले के कारण किसी भी नतीजे पर पहुंचने के खिलाफ आगाह किया।
यह पूछने पर कि क्या मायावती के फैसले के बाद विपक्ष की एकता बिखर रही है, गौड़ा ने कहा,‘मुझे ऐसा नहीं लगता।’ उन्होंने कहा,‘सभी राज्यों के नेताओं की अपनी प्राथमिकताएं हैं और आम चुनावों में अभी वक्त है. एक घटना के आधार पर आप नतीजा नहीं निकाल सकते हैं।
बता दें बसपा प्रमुख ने बुधवार को घोषणा की कि राजस्थान और मध्यप्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी अकेले दम पर या फिर क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में लड़ेगी। वह कांग्रेस के साथ गठजोड़ नहीं करेगी।
मायावती ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान अजित जोगी की पार्टी के साथ पूर्व में भी गठबंधन किया था। अकेले दम पर चुनाव लड़ने के मायावती के फैसले को कांग्रेस के लिए और बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था।
बुधवार को मायावती के निशाने पर कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह रहे। पार्टी द्वारा जारी एक बयान में मायावती ने कहा ‘कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह जैसे लोग यह चुनावी समझौता कतई होने नहीं देना चाहते हैं।
मायावती ने हालांकि कांग्रेस नेतृत्व के प्रति नरमी दिखाते हुये यह भी कहा‘एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी संरक्षक सोनिया गांधी, दोनों चाहते हैं कि देश में लोकसभा एवं इससे पहले जिन राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, वहाँ कांग्रेस तथा बसपा मिलकर चुनाव लड़ें. जिससे भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ कांग्रेस में दिग्विजय सिंह जैसे अनेक ऐसे नेता हैं जो सीबीआई और ईडी के डर से किसी भी कीमत पर कांग्रेस और बसपा का चुनावी समझौता नहीं होने देना चाहते हैं।