उत्तर प्रदेश के वज़ीर-ए-आला ( मुख्य मंत्री) अखिलेश यादव ने साबिक़( पूर्व) मायावती हुकूमत को शदीद तन्क़ीद (शख्त आलोचना) का निशाना बनाते हुए कहा कि मायावती हुकूमत एक ऐसी बद उनवान हुकूमत थी जिस ने अवाम को भी धोका दिया।
ला ऐंड आर्डर के नाम पर अवाम को मुसलसल धोका दिया जाता रहा। और नाइंसाफ़ी का बोल बाला था। गवर्नर ( राज्यपाल) के ख़िताब का जवाब देते हुए ऐवान ( संसद) में अखिलेश यादव ने ये बात कही। रियासत में ला ऐंड आर्डर के मुआमला पर अपोज़ीशन पार्टीयों का हवाला देते हुए उन्हों ने कहा कि सूरत-ए-हाल में बेहतरी लाने की कोशिशों का आग़ाज़ ( शुरूआत) हो चुका है।
अखिलेश यादव ने मज़ीद ( और भी) कहा कि साबिक़ हुकूमत में तरक़्क़ी-ओ-फ़रोग़ का रिकार्ड इंतिहाई नाक़िस ( बहुत खराब) है। उन्हों ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी के दौर में रियासत ( राज्य) बदउनवानीयों की तजुर्बा गाह बन गई थी और नैशनल रूरल हेल्थ मिशन (NRHM) में करोड़ों रुपये का स्क़ाम इसका सुबूत है।
अवाम को लूटना खसोटना, किसानों को निशाना बनाना और ग़रीबों की फ़लाह-ओ-बहबूद के लिए मुख़तस फंड्स का बेजा ( अनुचित) इस्तेमाल करना मायावती हुकूमत की तरह इम्तियाज़ रहा ( खाशियत रही)। जिस का सुबूत इस बात से भी मिलता है कि उन्होंने ख़ुद अपने और हाथियों के मुजस्समे (मूर्तीयों) सारी रियासत ( राज्य) में बीमारी की तरह फैला दिये और उनकी तामीर पर करोड़ों रुपय ख़र्च किए।
एक ज़िंदा और बाहयात शख़्स क्यों अपने आप को एक अज़ीम शख़्सियत होने का दावा कर सकता है। उन्होंने अपने पार्टी वर्कर्स से अपील की कि वो बदउनवानीयों से पाक कारकर्दगी के साथ रियासत की तरक़्क़ी-ओ-तरवीज के लिए ख़ुद को वक़्फ़ कर दें। जहां तक रियासत में बर्क़ी सरबराही ( बिजली का प्रबंध) के मौक़िफ़ का सवाल है इस पर अपने ख़्यालात का इज़हार करते हुए अखिलेश ने एक बार फिर मायावती हुकूमत को ही निशाना बनाया और कहा कि बर्क़ी के शोबा ( बिजली के उत्पादन) में बेहतरी के लिए कोई ख़ास तवज्जा नहीं दी गई जिसका नतीजा ये हुआ कि 25 हज़ार करोड़ रुपये का ख़सारा ( नुकसान) साबिक़ हुकूमत ( पूर्व सरकार) से उन्हें तोहफ़ा के तौर पर मिला है जिस की भरपाई अब मौजूदा हुकूमत को करनी है।