हैदराबाद। ०१ मई (एजैंसीज़) एक ऐसे वक़्त जबकि ग्रेटर हैदराबाद म्यूनसिंपल कारपोरेशन जी ऐच एमसी मेट्रो रेल प्राजैक्ट, सड़क तौसीअ और दीगर प्राजेक्टस के लिए जायदाद-ओ-मालिकान से अराज़ी के हुसूल के लिए कोशां है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की जानिब से अराज़ी मालिकान को मार्किट की क़ीमत अदा करने के अहकाम जी ऐच एमसी के लिए मुश्किलात पैदा करने का बाइस होंगी। सुप्रीम कोर्ट ने जुमा को अहकाम जारी करते हुए कहा कि मालिकान अराज़ी को रजिस्ट्रेशन क़ीमत नहीं बल्कि मार्किट क़ीमत अदा किए जाएं जबकि वसीअ नामों में रजिस्ट्रेशन में कम अदा करने की ग़रज़ से अराज़ी क़दर को कम बताया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने फ़रीदकोट के मुताल्लिक़ एक केस के सिलसिले में ये अहकाम जारी कीं। जी ऐच एमसी मुख़्तलिफ़ मक़ासिद जैसे सड़कों की तौसीअ बराए मेट्रो प्राजेक्टस, सड़कों की आम तौसीअ, डरेंज कामों, चौराहों की तौसीअ और दीगर प्राजेक्टस के काम के लिए अराज़ी, जायदादों का हुसूल-ए-इल्म में ला रहा है। इस सिलसिले में कारपोरेशन ने तक़रीबन 200 करोड़ रुपय मुआवज़ा की मालिकान अराज़ी को अदायगी का तख़मीना लगाया है।
जी ऐच एमसी जिस को 250 जायदाद मालिकान को मुआवज़ा करना है और इस ने इस सिलसिले में माधा पर, सड़क, बंजारा हिलज़, रोड नंबर 13 , राय दुर्गम सड़क, रहमत नगर , उप्पल और लक्कड़ी का पुल पर अराज़ी हुसूल का काम और तरीका-ए-कार का आग़ाज़ करदिया है जबकि आइन्दा एक साल में तक़रीबन 1000 जायदादों का हुसूल कारपोरेशन के ज़ेर-ए-ग़ौर है जिस में तीन मेट्रो रेल कोरीडोरस का काम भी शामिल है सुप्रीम कोर्ट के अहकाम कारपोरेशन केलिए परेशानी का बाइस होंगी। कारपोरेशन अराज़ी हुसूल केलिए दो तरीका-ए-कार अपना रही है।
पहला अराज़ी हुसूल क़ानून और दूसरा मालिकान जायदाद से बातचीत ताहम दूसरा तरीका-ए-कार ज़्यादा अपनाया जा रहा है। मालिकान की जानिब से नक़द रक़म के हुसूल से इनकार की सूरत में उन्हें मुतबादिल जगह फ़राहम की जा रही है। इस को (टी डी आर) तरीका-ए-कार क़रार दिया है। पिछले तीन सालों से मालिकान को रजिस्ट्रेशन मुक़र्रर के मुसावी मुआवज़ा दिया जा रहा है था ताहम मार्किट मुक़र्रर इस से ज़्यादा होगी। मिसाल के तौर पर ख़ैरीयत आबाद निरंकारी भवन के दरमयान 25 हज़ार रुपय की मुरब्बा गज़, मुआवज़ा बनता है जबकि मार्किट क़दर 50 हज़ार रुपय फ़ी मुरब्बा गज़ होती है, ताहम सड़क तौसीअ मुआमला में हंगामी सूरत में कारपोरेशन सरकारी क़दर से ज़ाइद अदा कर रही है।
मिसाल के तौर पर 37 मालिकान जायदाद को अमीर पेट, अरा गड्डा सड़क पर 45 हज़ार रुपय फ़ी मुरब्बा गज़ मुआवज़ा अदा किया गया, जबकि मेट्रो रेल प्राजैक्ट के लिए सड़क तौसीअ इंतिहाई ज़रूरी थी, जबकि सात गनबद इन (गिंडी पेट रोड) मुशयरा बाद, चिक्कड़ पली सड़क और मर की नाला की तौसीअ के लिए रजिस्ट्रेशन क़दर के मुताबिक़ अदायगी की गई जब इस सिलसिले में जी ऐच एमसी अराज़ी हुसूल ओहदेदार एम सूर्य कल्ला से रब्त पैदा करने पर उन्हों ने बताया कि वो महिकमा रेवेन्यू के बोर्ड असटानडनग अहकाम की तामील कर रहे हैं, जैसा कि इस में रजिस्ट्रेशन की क़दर के मुताबिक़ मुआवज़ा की अदायगी करने के लिए कहा गया है। उन्हों ने ताहम कहा कि वो मुआवज़ा पर सुप्रीम कोर्ट के अहकाम की स्टडी करेंगे और फ़ैसला करेंगे कि क्या किया जाए।