मालीयाती इस्लाहात(सुधार) मआशी तरक़्क़ी(आर्थिक विकास) केलिए काफ़ी नहीं

वज़ीर कॉरपोरेट उमूर एम वीरप्पा मोईली ने आज कहा कि हिंदूस्तानी मआशी तरक़्क़ी के लिए सिर्फ़ मालीयाती इस्लाहात ही काफ़ी नहीं है बल्कि इस के लिए हिंदूस्तानी वसाइल को फ़रोग़ देने और सरकार ने भी इस्लाहात लाने के इक़दामात करने(कदम उठाने) चाहीए । सरकारी इस्लाहात(सुधार) मुल़्क की तरक़्क़ी (विकास) में अहम रोल अदा करेंगे जबकि इंसानी वसाइल इस्लाहात(संसाधन सुधार ) के ज़रीया मालीयाती इस्लाहात को भी फ़रोग़(बढ़ावा) दिया जाता है ।

वीरप्पा मोईली ने कहा कि तय्यारी का अमल और असलाहाती इक़दामात ज़रूरी है। हुकूमत सिर्फ मालीयाती इक़दामात करेगी तो इस से दीरपा फ़वाइद(लाभ‌) हासिल नहीं होंगे । मुल़्क की मआशी तरक़्क़ी केलिए दोनों इस्लाहात के इक़दामात यकसाँ तौर(समान रूप ) पर फ़ायदेमंद हैं।