नई दिल्ली, 31 दिसम्बर: मर्कज़ का मालीयाती ख़सारा 2012-13की अप्रैल। नवंबर मुद्दत में 4.13 लाख करोड़ रुपय रहा, जो बजट तख़मीनों का 80.4 फ़ीसद है।
क़तई इस्तलाहों में ये मालीयाती ख़सारा &मसारिफ़ और वसोलयात के दरमयान फ़र्क़& जारीया माली साल के इबतिदाई आठ महीनों के दौरान 4.13 लाख करोड़ रुपय रहा, कमपटरोलर जनरल औफ़ अकावन्टस (सी जी ए) के आज जारी करदा आदाद-ओ-शुमार में ये बात कही गई। ये पिछ्ले साल के मालीयाती ख़सारा मौक़िफ़ से कुछ बेहतर है जब बजट टार्गेट का 85.6 फ़ीसद था।
ये बेहतरी बुनियादी तौर पर मसारिफ़ के महाज़ पर कुछ सख़्ती बरतने के सबब हुई है। अप्रैल। नवंबर की मुद्दत के दौरान ख़ालिस टैक्स वसोलयात 3.7 लाख करोड़ रुपय रहें, जबकि जुमला मसारिफ़ तक़रीबन 8.67 लाख करोड़ रुपय रही।
मार्च 2013को ख़त्म होने वाले मुकम्मल मालीयाती साल के लिए हुकूमत ने बजट में मालीयाती ख़सारे को 5.14 लाख करोड़ रुपय या जी डी पी का 5.1 फ़ीसद रखा था।
ताहम हुकूमत ने इस टार्गेट को पिछ्ले महिने जी डी पी के 5.3 फ़ीसद तक बढ़ा दिया था। 2011-12 में मालीयाती ख़सारा जी डी पी का 5.8 फ़ीसद था। महंगा ईंधन, फ़र्टीलाइज़र और फ़ूड सब्सीडी मालीयाती ख़सारा में इज़ाफे़ की बड़ी वजूहात हैं।