माली में जंगी ऑप्रेशन और उसके असरात

माली 19 जनवरी- माली में जारी जंगी ऑप्रेशन के असरात उस के हमसाया ममालिक पर भी मुरत्तब हो रहे हैं। माली के हमसाया मुल्क अल-जज़ाइर में मुसलमान अस्करीयत पसंदों ने एक बड़ी मुसल्लह कार्रवाई के दौरान 41 ग़ैर मुल्कीयों को यरग़माल बना लिया है।

इन में से अक्सरीयत मग़रिबी मुल्कों के शहरीयों की है। गुज़श्ता रोज़ भी अल-जज़ाइर में एक गैस फ़ील्ड में काम करने वाले बीस अफ़राद पर हमला किया गया, जिस के नतीजे में दो अफ़राद मारे गए थे। इन में से एक बर्तानिया और एक अल-जज़ाइर का बाशिंदा था।अल-जज़ाइर में हमलों का पैग़ाम वाज़िह है। अस्करीयत पसंद ज़ाहिर करना चाहते हैं कि वो ताक़तवर हैं और वो जब चाहें सरहदों के बाहर भी हमले कर सकते हैं।

अल-जज़ाइर में हमलों की वजह वहां की हुकूमत का वो फ़ैसला है, जिस के तहत फ़्रांसीसी जंगी तय्यारों को माली में हमलों के लिए फ़िज़ाई हदूद इस्तिमाल करने की इजाज़त दी गई है। यरग़माल बनाए गए 41 ग़ैर मुल्कीयों के बारे में अल-जज़ाइर के वज़ीर-ए-दाख़िला दुहु उलद काबीला का एक फ़्रांसीसी टेलीविज़न को इंटरव्यू देते हुए कहना था,यरग़मालियों की रिहाई के लिए मुज़ाकरात के इलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। अगर वो अपनी राय तबदील नहीं करते तो हालात कोई दूसरा रुख़ इख़तियार कर सकते हैं।

अल-जज़ाइर के अस्करीयत पसंदों ने मुतालिबा किया है कि माली में जारी फ़ौजी ऑप्रेशन बंद किया जाये। दूसरी जानिब माली के उबूरी सदर डेविन कोन्डा तराओरे ने गुज़श्ता रोज़ पैरिस हुकूमत का शुक्रिया अदा करते हुए बामाको आने वाले नए फ़्रांसीसी फ़ौजीयों को ख़ुशआमदीद कहा है। दरीं असना माली में फ़्रांसीसी जंग फ़िज़ाई हमलों से भी आगे बढ़ चुकी है। फ़्रांस के ज़मीनी दस्ते भी इस्लाम पसंदों के ख़िलाफ़ कार्यवायां शुरू कर चुके हैं। दार-उल-हकूमत बामाको से चार सौ किलोमीटर शुमाल में ये फ़ौजी शहर दियाबाली का कंट्रोल हासिल करने के लिए जंग लड़ रहे हैं।

हमलों के ख़िलाफ़ तक़रीबन एक हज़ार के क़रीब इस्लाम पसंदों की तरफ़ से शदीद मुज़ाहमत जारी है। पैरिस हुक्काम के मुताबिक़ शुमाली माली में जारी जंगी ऑप्रेशन बहुत जल्द ख़त्म कर लिया जाएगा लेकिन बामाको में जर्मन इमदादी तंज़ीम फ़्रीडर यश एबरट फ़ाउंडेशन में काम करनेवाली आनीटे लोमान कहती हैं कि ये जंग तवील हो सकती है, मालीके शुमाली हिस्सों पर दुबारा कंट्रोल हासिल करने के साथ साथ माली की फ़ौज को भी इस काबिल होना चाहिए कि वहां तवीलुल-मुद्दती इस्तिहकाम पैदा कर सके। और इस के लिए फ़ौरी बैनुल-अक़वामी मदद की ज़रूरत है। तमाम चीज़ों के बरअकस ये बात वाज़ेह है कि माली यूरोप में देर तक मौज़ू बना रहेगा। (ऐजेंसी)