माली साल की चौथी सहि माही में मआशी शरह तरक़्क़ी का रिकार्ड इन्हेतात (कमी)

हिंदूस्तान की मआशी शरह तरक़्क़ी 2011 12‍ की चौथी सहि माही में इन्हेतात पज़ीर हो कर 5.3 फ़ीसद (%) हो गई। ये तक़रीबन 9 साल में अक़ल्ल तरीन शरह तरक़्क़ी है, जिसकी वजह पैदावारी और ज़रई शोबों का कमज़ोर मुज़ाहरा है। इजतिमाई अंदरून-ए-मुल्क पैदावार की शरह तरक़्क़ी जनवरी से मार्च की सहि माही में साल 2010 11 के दौरान 9.2 फ़ीसद थी।

हुकूमत के आज जारी कर्दा आदाद-ओ-शुमार के बमूजब माली साल 2011 12 में जी टी पी पहले ही से मोतदिल हद तक यानी 8.4 फ़ीसद से जो 2010 11 की शरह तरक़्क़ी की 6.5 फ़ीसद (%) तक पहुंच गई थी। 31 मार्च को ख़तम होने वाली सहि माही में पैदावारी शोबा में शरह तरक़्क़ी 0.3 फ़ीसद कम हुई, जो 2010 11‍ में इसी मुद्दत के दौरान 7.3 फ़ीसद थी।

ज़रई पैदावार में भी इसी तरह का रुजहान देखा गया और इसमें सिर्फ 1.7 फ़ीसद इज़ाफ़ा हुआ। बनिस्बत साल 2010 11 की चौथी सहि माही के इज़ाफ़ा के जो 7.5 फ़ीसद ( %) था।

ताहम कानकनी और कानकनी से पैदावार में इज़ाफ़ा की शरह ज़ीरनज़र सहि माही में 4.3 फ़ीसद रही जो 2010 11 की चौथी सहि माही में सिर्फ 0.6 फ़ीसद थी। तामीरात के शोबा में शरह तरक़्क़ी कम होकर 4.8 फ़ीसद हो गई, जो एक साल पहले इसी मुद्दत में 8.9 फ़ीसद थी।

तिजारत, होटलें, ट्रांसपोर्ट और मुवासलात के शोबों में ज़ीरनज़र सहि माही के दौरान 7 फ़ीसद तरक़्क़ी हुई जबकि एक साल क़ब्ल इसी मुद्दत के दौरान तौसीअ 11.6 फ़ीसद थी। ताहम बर्क़ी तवानाई, गैस और पानी की सरबराही में जनवरी से मार्च 4.9 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ। गुज़शता माली साल इसी मुद्दत में ये 5.1 फ़ीसद था।