मालॆगाव धमाके : 7 मुल्ज़िमीन की 5 साल बाद रिहाई, जज़बाती मुनाज़िर

मुंबई 17 नवंबर (पी टी आई) मालॆगाव 2006-ए-बम धमाकों के 7 मुल्ज़िमीन आज ज़मानत पर रहा होगई। इस मुक़द्दमा में गिरफ़्तारी के तक़रीबन 5 साल बाद उन की रिहाई अमल में आई जबकि तहक़ीक़ात में दाएं बाज़ू की हिन्दू फिर्कापरस्त्तं तनज़ीमॊ का नाम मंज़र-ए-आम पर आने के बाद मुक़द्दमा की नौईयत बिलकुल तबदील हो चुकी है।

पुलिस ने बताया कि सलमान फ़ारसी, शब्बीर अहमद, नूर अलहदा दोहा, रईस अहमद, मुहम्मद ज़ाहिद और फ़ारूक़ अंसारी को आज आर्थर रोड जेल से रिहा किया गया।

एक और मुल्ज़िम इबरार अहमद को बाईकोला जेल से रिहा किया गया। दीगर दो मुल्ज़िमीन आसिफ़ ख़ान और मुहम्मद अली की भी इस मुक़द्दमा में ज़मानत मंज़ूर की जा चुकी है लेकिन उन की रिहाई अमल में नहीं आई क्योंकि वो 2006-ए-मुंबई ट्रेन बम धमाकों के मुक़द्दमा में भी मुल्ज़िम हैं।

महाराष्ट्रा मकोका अदालत ने 5 नवंबर को तमाम 9 मुल्ज़िमीन की फी कस 50 हज़ार रुपय शख़्सी तमानीयत पर ज़मानत मंज़ूर की थी, क्योंकि इस मुक़द्दमा की तहक़ीक़ात कर रही नैशनल इन्वॆस्टीगॆसन् एजैंसी (एन आई ई) ने दरख़ास्त ज़मानत की मुख़ालिफ़त ना करने का फ़ैसला किया।

एन् आइ ए का ये इस्तिदलाल है कि स्वामी असीमानंद के इन धमाकों में दाएं बाज़ू ग्रुप के मुलव्वस होने का एतराफ़ करने के बाद एजैंसी ने सारे मुआमला की अज़सर-ए-नौ तहक़ीक़ात की है और दीगर तहक़ीक़ाती एजैंसीयों, महाराष्ट्रा ए टी ऐस और सी बी आई के जमा करदा शवाहिद का भी अज़सर-ए-नौ जायज़ा लिया हैं।

वाज़िह रहे कि स्वामी असीमानंद को 2007-ए-मक्का मस्जिद बम धमाकों के मुक़द्दमा में गिरफ़्तार किया गया था। इन आई ए ने अदालत को बताया कि काफ़ी ग़ौर-ओ-ख़ौज़ के बाद ये फ़ैसला किया गया हीका मौजूदा हालात में तमाम 9 मुल्ज़िमीन की दरख़ास्त ज़मानत की मुख़ालिफ़त ज़रूरी नहीं।

वाज़िह रहे कि 8 सितंबर 2006-ए-को मालॆगाव में हमीदिया मस्जिद से मुत्तसिल बड़ा क़ब्रिस्तान में ताक़तवर बम धमाके हुए थे और ये कार्रवाई शब बरा॔त के मौक़ा पर की गई , जिस के नतीजा में 37 अफ़राद हलाक और 100 से ज़ाइद ज़ख़मी हुई। आज वसती मुंबई में आर्थर रोड जेल के बाहर मुल्ज़िमीन के अज़ीज़-ओ-अका़रिब और हामीयों की कसीर तादाद जमा थी।

उन्होंने 5.45 बजे मुल्ज़िमीन के जेल से बाहर निकलते ही वालहाना इस्तिक़बाल किया और इस मौक़ा पर जज़बाती मुनाज़िर देखे गई। 9 मुल्ज़िमीन को जिन पर ममनूआ सैमी के अरकान होने का शुबा है, धमाकों के अंदरून 3 माह गिरफ़्तार किया गया था। एक मुल्ज़िम इबरार अहमद जो सरकारी गवाह बन चुका है, इस ने ज़मानत पर रिहाई पर अल्लाह ताला का शुक्र बजा लाते हुए कहा कि इस ने आज का दिन देखने का मौक़ा फ़राहम किया है।

जब इस से सरकारी गवाह बनने और फिर अपने मौक़िफ़ तबदील करने के बारे में पूछा गया तो इस ने तबसरा से इनकार किया। इबरार अहमद ने कहा कि वो बारगाह-ए-ख़ुदावंदी में शुक्र बजा लाता है क्योंकि उसे ग़लत तौर पर फंसाया गया था। उसे यक़ीन था कि अदालत एक दिन बेक़सूर साबित करेगी। एक और मुल्ज़िम शब्बीर अहमद ने कहा कि उसे मुक़द्दमा में जल्द फ़ैसला की तवक़्क़ो हैं।

सलमान फ़ारसी ने कहा है कि जिस वक़्त मुक़द्दमा में उसे बरी किया गया तब से वो आज के दिन का इंतिज़ार कररहा था। नूर अलहदा दोहा ने आज रिहाई को ऐसे मोर से ताबीर किया जिसे पिंजरा से रिहाई मिली है। इस ने अदलिया पर मुकम्मल तमानीयत का इज़हार किया। जनरल सैक्रेटरी जमीयत-ए-उलमा महाराष्ट्रा गुलज़ार आज़मी ने कहा कि वो मुल्ज़िमीन पर बावर करना चाहते हैं कि उन्हें ख़ौफ़ज़दा होने की ज़रूरत नहीं और वो कभी भी उम्मीद का दामन ना छोड़ें।

उन्हों ने कहा कि तमाम मुल्ज़िमीन बेक़सूर हैं, लेकिन हम अपनी लड़ाई उस वक़्त तक जारी रखेंगे जब तक अदालत उन्हें बेक़सूर क़रार नहीं देती। उन्हों ने बम धमाकों के मुक़द्दमात में मुस्लमानों को फांसने की कोशिशों के ख़िलाफ़ हुकूमत को ख़बरदार किया। इस मौक़ा पर 13 साला उसामा अपने वालिद मुल्ज़िम रईस अहमद को देख कर जज़बात से बेक़ाबू होगया था।

इस ने बताया कि पुलिस ने मेरे वालिद को बगै़र किसी सबूत के गिरफ़्तार किया और हम सब को यक़ीन है कि वो बेक़सूर हैं। इस लड़के ने कहा कि हाल ही में इस ने फ़िल्म संघम देखी जिस में पुलिस ऑफीसर का रोल निहायत उम्दा है लेकिन हक़ीक़ी ज़िंदगी में वो पुलिस को पसंद नहीं करता। एक और मुल्ज़िम नूर अलहदा दोहा के भाई नूर उद्दीन ने कहा हीका एन आई ने 9 मुल्ज़िमीन की ज़मानत की मुख़ालिफ़त नहीं की और ये साफ़ इशारा है कि मेरा भाई और तमाम दीगर बेक़सूर हैं। स्वामी असीमानंद के ब्यान से ये वाज़िह होचुका है कि मालॆगाव् धमाका में इन मुल्ज़िमीन का कोई रोल नहीं।