मालेगाँव केस : ज़मानतों का दो माह में फ़ैसला करें

नई दिल्ली: सुप्रीमकोर्ट ने आज महाराष्ट्र की एक ख़ुसूसी अदालत को मज़ीद दो माह का वक़्त अता कर दिया कि 2008 के मालेगाँव‌ धमाका केस के मुल्ज़िमीन बिशमोल लेफ्टेनेंट कर्नल एस पी पुरोहित और साध्वी परगिया सिंह ठाकुर की ज़मानत से मुताल्लिक़ दरख़ास्तों की समात करते हुए फ़ैसला सुनाए।

मज़ीद दो वक़्त का वक़्त दिया जाता है, जस्टिस जे चलमीशोर और जस्टिस ए ऐम स्प्रे की बेंच ने ये बात कही जब एडिशनल सौलीसीटर जनरल (ए एसजी) तुषार मुहित ने उन्हें मतला किया कि ख़ुसूसी मकोका अदालत के प्रीसाईडिंग ऑफीसर ने दो माह की तौसी मांगी है। ए एसजी ने कहा कि ट्रायल जज ने हाल में जायज़ा लिया है और इस लिए मज़ीद वक़्त अता किया जाये।

अदालत ने ये भी कहा कि इस के हुक्मनामा मौरर्ख़ा 15 अप्रैल के ज़रिये उसने पहले ही एक माह का वक़्त दिया था कि ज़मानत की अर्ज़ियों की आजलाना यकसूई तरजीही तौर पर अंदरून एक माह कर दी जाये, जिसे तब से शुमार किया जाये जब स्पैशल जज जायज़ा हासिल करें।

फ़ाज़िल अदालत ने अपने हुक्मनामा में कहा था कि राकेश धावडे जिस पर मालेगाँव‌ धमाके से क़बल परभणी और जालना में इसी तरह के दीगर मामलों में मुलव्विस होने का इल्ज़ाम है, महाराष्ट्र कंट्रोल आफ़ आरगनाइज़ड क्राइम्स ऐक्ट (मकोका) की दफात दीगर मुल्ज़िमीन की ज़मानत अर्ज़ियों से निमटने में मलहूज़ नहीं रखी जाएँगी।