मालेगाँव धमाका : बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों की बरा॔त का इम्कान

मुंबई, 30 अगस्त: (सियासत डाट काम) मालेगाँव बम धमाके में ग़लत माख़ूज़ कर्दा बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को बरा॔त मिल सकती है क्योंकि क़ौमी तहक़ीक़ाती एजेंसी (एन आई ए) ने मुंबई की एक अदालत से कहा कि 2006 मालेगाँव धमाकों के केस में उसे इन नौजवानों के ख़िलाफ़ कोई सुबूत नहीं मिला है।

इन नौजवानों ने अदालत में दरख़ास्त दायर करते हुए इल्ज़ामात मंसूबा से बरी करने की ख़ाहिश की है जिस पर एन आई ए ने उसकी मुख़ालिफ़त नहीं की है। एन आई ए का कहना है, इसलिए इस केस में जो सुबूत-ओ-शवाहिद मिले हैं, वो साबिक़ में महाराष्ट्रा ए टी एस और सी बी आई के सुबूतों से मेल नहीं खाते।

ए टी ऐस और सी बी आई ने इन नौजवानों पर मुक़द्दमा चलाने की वकालत की थी। नौ मुल्ज़िमीन की दरख़ास्त बरा॔त पर एन आई ए की एक अदालत में क़ौमी एजेंसी ने कहा कि इसके पास जो सुबूत है, वो सी बी आई और ए टी इसके सुबूत से मेल नहीं खाता। इसलिए अदालत इस पर मुनासिब अहकाम जारी कर सकती है।

साबिक़ में ए टी एस-ओ-सी बी आई ने इस मुआमले की तहक़ीक़ात की थीं। एन आई ए का कहना है कि दोनों एजेंसीयों ने जो क़तई रिपोर्टस तैयार की हैं, उनके मुताबिक़त में कोई सुबूत-ओ-शवाहिद नहीं मिले हैं। सी बी आई और ए टी एस ने तमाम 9 मुल्ज़िमीन के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा चलाने की सिफ़ारिश की थी। इन धमाकों में दो अफ़राद हलाक और 125 ज़ख़्मी हो गए थे। जज वाई डी शिंदे ने इस केस में समाअत आइन्दा माह तक के लिए मुल्तवी कर दी।