मालेगांव ब्लास्ट: कर्नल पुरोहित की जमानत अर्जी खारिज

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मुम्बई: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने वर्ष 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि पुरोहित ने एक खुफिया अधिकारी तौर पर अपने कर्तव्य का सही से निर्वहन किया और अपराध में उनका कोई हाथ नहीं था।

84 पेज के अपने आदेश में अदालत ने कहा कि आवेदक (पुरोहित) के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। 26 सितंबर को कोर्ट ने पुरोहित की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। पुरोहित तर्क दिया कि उन्होंने फरीदाबाद की अभिनव भारत गठन मीटिंग के बारे में अपने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया था। उन्होंने दावा किया कि मीटिंग काउंटर इंटेलीजेंस बनाने के लिए किया था। पर अदालत ने एक गवाह के बयान पर भरोसा जाताया। पुणे का व्यापारी जो मीटिंग में पुरोहित साथ मौजूद था, उसने उदालत को बताया कि पुरोहित ने कहा था कि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों बदला लेना चाहिए और अभिनव भारत केवल एक राजनीतिक पार्टी के रूप में विकसित नहीं किया जाना चाहिए। पर एक संगठन के तौर पर विरोध करने वाले लोगों को समाप्त किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि वह एक पार्टी को विकसित करने का अभियुक्त है इसलिए राज्य के पास कोई कारण नहीं कि 10 लाख का फंड कहां से आया जाने। अदालत ने इस बात को जोड़ा कि 23 अक्टूबर, 2008 को खुद पुरोहित को पता था कि उनका नाम केस में आने वाला है, तो फिर उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण की क्यों नहीं मांग की।