मालेगांव: गरीबों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए एक नेक और प्रशंसनीय पहल के रूप में शुरू हुए सामूहिक विवाह आयोजन मौजूदा दौर में राजनीतिक लाभ और प्रचार जुटाने के कार्यक्रम बन चुके हैं।
इससे भी बुरा तब होता है, जब ऐसे आयोजनों में जोड़ो को उनके गरीब होने और आयोजकों द्वारा किये जा रहे ‘एहसान’ का एहसास कराया जाता है।
मालेगांव में भी मंगलवार, 24 जनवरी को एक सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था, लेकिन यह सामूहिक विवाह इसी तरह के अन्य आयोजनों से अलग था।
यह चौथा सामूहिक विवाह समारोह था, जिसे महाराष्ट्र के स्टेट कोऑपरेशन मंत्री, दादा भूसे ने आयोजित किया था। लेकिन, इस वर्ष में ख़ास यह था कि विभिन्न विश्वास, धर्मों और जातियों के 94 जोड़ों के अलावा, दादा भूसे के बड़े बेटे अजिंक्य भूसे ने भी पिता द्वारा आयोजित इस समारोह में शादी करने का फैसला किया।
“अजिंक्य अगर चाहते तो उनके पिता उनके लिए एक भव्य समारोह का आयोजन कर सकते थे, लेकिन उन्होंने इस सामूहिक समारोह में अन्य जोड़ों के साथ शादी करने का फैसला लिया,” अजिंक्य भूसे के एक करीबी ने बताया।
खुद अजिंक्य के लिए यह आयोजन एक यादगार लम्हा बन गया।
“शादी हर किसी की ज़िन्दगी का एक यादगार लम्हा होती है। लेकिन, सामूहिक समारोह में शादी के बंधन में बंधने के अनुभव को शब्दों में बयान करना बेहद मुश्किल है। यह बेहद यादगार लम्हा था और इसे मैं कभी नहीं भूल सकता। मैंने इस अनुभव की सपनों में भी कल्पना नहीं की थी,” ummid.com से बात करते हुए अजिंक्य ने कहा।
इसी तरह की भावना प्रवीन अहेल की बेटी और अजिंक्य की वधु बनी स्नेहल अजिंक्य भूसे ने बयान की। अजिंक्य और स्नेहल दोनों कंप्यूटर इंजिनियर हैं।
“यह एक सपनों की परियों की कहानी वाली शादी जैसी थी,” स्नेहल ने कहा।
एक अनुमान के मुताबिक, इस समारोह में लगभग 70,000 लोग शामिल हुए थे और 94 जोड़ों का विवाह हुआ जिनमें से एक अजिंक्य भूसे थे।
एक सवाल के जवाब में, अजिंक्य ने कहा कि वह इस सामूहिक विवाह में शादी करके एक सामाजिक उदाहरण स्थापित करना चाहते थे।