मुंबई: मालेगांव 2008 बम विस्फोट मामले की मुख्य आरोपी साधु प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत याचिका पर आखिर कार आज दोनों पक्षों की बहस पूरी हुई जिसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित करते हुए मामले की सुनवाई स्थगित किए जाने के आदेश जारी किए.
प्रदेश 18 के अनुसार, आज मुंबई हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ न्यायमूर्ति मोरे और न्यायमूर्ति फांसिलकर जोशी के समक्ष बतौर हस्तक्षेप कार व पीड़ितों के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता बीए देसाई ने चर्चा की और अदालत को बताया कि अतिरिक्त जांच के नाम पर नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी एनआइए ने मामले के आरोपी को लाभ पहुंचाने के लिए फिर से जांच की और इन सरकारी गवाहों के बयानों को दोबारा दर्ज किया जबकि एटीएस ने पहले ही बयान दर्ज कर लिया था.
एडवोकेट बीए देसाई ने अदालत को बताया कि किसी भी मामले को फिर से जांच करना अवैध है, राष्ट्रीय जांच एजेंसी के चार्जशीट को नष्ट कर देना चाहिए तथा अदालत को आरोपी की जमानत याचिका पर फैसला सादिर करते समय उन सबूत और साक्ष्य को भी ध्यान में रखना चाहिए जो एटीएस ने जमा किए थे.
बीए देसाई ने अदालत को बताया कि उन्हें बड़ा दुख है कि अभियोजन की ड्यूटी हस्तक्षेप कार को निभानी पड़ रही है क्योंकि सरकारी वकील ने आरोपी को क्लीन चिट देते हुए उसे जमानत पर रिहा किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं की थी. लेकिन अदालत के रिकॉर्ड में मौजूद सबूत जिसमें आरोपी के अन्य आरोपियों से टेलीफोन पर बातचीत, लैपटॉप रिकार्ड,बैठक की रुदाद, अन्य आरोपियों के इकबालिया बयान, सरकारी गवाहों के बयानों और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बाइक का इन धमाकों में शामिल होना, को देखते हुए फैसला करना होगा ताकि बम विस्फोट में मारे गए और घायल होने वालों के साथ न्याय हो सके.
देसाई ने अदालत में सुप्रीम कोर्ट के कई हुक्मनामों की प्रतियां भी पेश की और अदालत को बताया कि ऐसे मामलों में जहां एक से अधिक जाँच दल ने जांच की हैं निचली अदालत में मामले की पूरी सुनवाई तक किसी भी अदालत को कोई फैसला नहीं करना चाहिए कि जाँच दल की जांच सही है और इस के फर्जी है. दो सदस्यीय खंडपीठ ने आज दोनों पक्षों के वकीलों को आदेश दिया कि वह अगर इस मामले में लिखित जवाब दाखिल करना चाहते हैं तो अगले कुछ दिनों में दाखिल कर दें ताकि अदालत आरोपी की याचिका पर फ़ैसला सादिर करने से पहले उनका अध्ययन कर सके.
आज दौरान कार्रवाई अदालत में एक ओर जहां जमीअत उलेमा महाराष्ट्र (अरशद मदनी) की ओर से एडवोकेट शरीफ शेख, एडवोकेट अब्दुल वहाब खान, एडवोकेट नईमा शेख, एडवोकेट शाहिद नदीम, एडवोकेट मोहम्मद अरशद, एडवोकेट अफज़ल नवाज मौजूद थे वहीं भगवा आरोपी के बचाव में एडवोकेट मीश्रा, एडवोकेट मग्गो, एटीएस और एनआईए के वकील और जांच अधिकारी मौजूद थे.
गौरतलब है कि इस से पहले पिछले शुक्रवार को आरोपी कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका पर पक्षों की बहस पूरी हुई जिस पर फैसला अभी आना बाकी है, आशा है कि दोनों आरोपियों की याचिका पर फैसला एक साथ आ सकता है क्योंकि दोनों इस मामले के मुख्य आरोपी हैं और दोनों को एनआईए की ताजा जांच से लाभ पहुंचा था.