माले गांव धमाका केस: एन आई ए की जानिब से पहली गिरफ़्तारी

नई दिल्ली, 30 दिसंबर: (पी टी आई) क़ौमी तहक़ीक़ाती एजेंसी (एन आई ए) ने गुज़श्ता साल स्वामी असीमानंद की गिरफ़्तारी के बाद मुल्क के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर हुए दहशतगर्द हमलों में दाएं बाज़ू के हिंदू इंतेहापसंद ग्रुपों के रोल का पता चलाए जाने के बाद महाराष्ट्रा के मालेगांव में 2006 के दौरान हुए बम धमाकों के ज़िमन में आज पहली गिरफ़्तारी की है ।

एन आई ए ने एक शख़्स मोहन को गिरफ़्तार किया है जो मुबय्यना तौर पर माले गांव बम धमाकों में मुजरिमाना साज़िश का एक हिस्सा है और बावर किया जाता है कि इसमें 8 सितंबर 2006 -को फ़िर्कावाराना तौर पर हस्सास शहर मालेगांव में धमाका ख़ेज़ मवाद रखने का ज़िम्मेदार भी है ।

इन धमाकों में कम से कम 35 अफ़राद हलाक हो गए थे । मोहन को मध्य प्रदेश के ज़िला इंदौर में हाटोड इलाक़ा से गिरफ़्तार किया गया है और मुंतक़ली के रीमांड पर मुंबई लाया जाया रहा है जहां उसको अदालत में पेश किया जाएगा । ओहदेदारों ने ये इत्तिला देते हुए कहा कि समझौता ट्रेन धमाके के मुबय्यना बमबार राजेश चौधरी से एन आई ए की पूछगिछ के दौरान मोहन के रोल का पता चला ।

मालेगांव धमाके के सिलसिले में एन आई ए की तरफ़ से की गई ये पहली गिरफ़्तारी है । मुंबई पुलिस के शोबा ए टी एस के इलावा सी बी आई ने मालेगांव धमाका के बाद 9 मुस्लिम नौजवानों को गिरफ़्तार किया था जो 5 साल बाद उस वक़्त जेलों से बाहर निकल आए जब तहक़ीक़ाती इदारों ने उनकी दरख़ास्त ज़मानत की मुख़ालिफ़त नहीं की थी ।

मालेगांव जैसे दहशतगर्दी के मुक़द्दमात के ज़िमन में जारी तहक़ीक़ात ने उस वक़्त एक सनसनीखेज़ मोड़ इख्तेयार कर लिया था जब दाएं बाज़ू के हिंदू इंतहापसंद ग्रुप अभीनव भारत के एक रुकन स्वामी असीमानंद ने मजिस्ट्रेट के रूबरू कलमबंद करवाए गए बयान में एतराफ़ किया था कि मालेगांव धमाके दरअसल हिंदू इंतहापसंद ग्रुपों की ज़हनी इख़तिरा और कारस्तानी का नतीजा है ।

असीमानंद ने इन धमाकों के लिए हिंदू ग्रुपों को मास्टर माईंड क़रार देते हुए कहा था कि आर एस एस का मक़्तूल कारकुन सुनील जोशी और दूसरे इंतहापसंद ही 2006 के मालेगांव धमाकों के ज़िम्मेदार हैं । ताहम बाद में स्वामी असीमानंद ने अपने एतराफ़ी बयान से मुनहरिफ़ होने की कोशिश भी की थी ।

वाज़िह रहे कि 8 सितंबर 2006 को मुसलमानों के लिए मुक़द्दस शब-ए-बरात के मौक़ा पर मालेगांव में 4 बम रखे गए थे जिनके धमाके में तक़रीबन 35 अफ़राद हलाक हो गए थे । मुसलमानों में शब-ए-बरात को इसलिए मुक़द्दस समझा जाता है कि वो इस मौक़ा पर अपने मरहूमीन के लिए दुआएं मग़फ़िरत करते हैं और अपने गुनाहों से नजात-ओ-मग़फ़िरत के लिए दस्त बदा होते हैं ।

मालेगांव में 2008 के दौरान भी एक दहशतगर्द हमला हुआ था जो बावर किया जाता है कि हिंदू इंतहापसंद ग्रुप की कारस्तानी का नतीजा था । साध्वी परग्या सिंह ठाकुर और हिंदूस्तानी फ़ौज के लेफ्टीनेंट कर्नल सुर्यकांत पुरोहित को इस वाक़िया के ज़िमन में गिरफ़्तार किया गया था।