पटना : यहां हाथीदह में विजय माल्या की शराब फैक्ट्री का प्रोडक्शन बंद हो गया है। इससे करीब डेढ़ हजार फैमिलीज के सामने रोजी-रोटी की प्रॉब्लम खड़ी हो गई है। नाराज वर्कर्स ने मैनेजमेंट से मुआवजे की मांग की है। प्रोडक्शन बंद करने के पीछे मैनेजमेंट का तर्क है कि रियासती सरकार की पाॅलिसीज अनफेवरेबल हैं।
लोकल लोगों के मुताबिक माल्या के वालिद विट्ठल माल्या ने 1973 में यह यूनिट शुरू की थी। महेंद्रपुर के रहने वाले श्याम किशोर सिंह ने बताया कि उन दिनों विट्ठल माल्या कई महीनों तक यहां रहे थे। उस वक्त यह कंपनी ‘मैकडॉवेल’ के नाम से जानी जाती थी। विट्ठल माल्या ने कई जगहों पर पानी की जांच कराई थी। हाथीदह में लिए गए पानी के नमूने से तैयार की गई शराब काफी उम्दा पाई गई थी।
हर साल तैयार होती थी दो लाख कार्टन शराब . माल्या की कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स की यह पहली शराब फैक्ट्री थी। इसमें दो लाख कार्टन शराब का प्रोडक्शन हर साल होता था। आधी शराब बिहार में बिक जाती थी, जबकि आधी दूसरे रियासतों में सप्लाई होती थी।
यहां 200 अन्य वर्कर्स भी सप्लायर्स द्वारा इम्प्लॉयड हैं। ट्रांसपोर्टिंग में 100 से अधिक ट्रकों का इस्तेमाल होता था। जराए का कहना है कि फाइनेंशियल ईयर 2016-17 के लिए प्रोडक्शन का लाइसेंस मिल चुका था। इसके बावजूद प्रोडक्शन ठप किया गया। इससे इम्प्लॉइज के सामने रोजी-रोटी की प्रॉब्लम पैदा हो गई है। कंपनी की 5 करोड़ की शराब बेवरेज कॉर्पोरेशन के गोदामों से लौट चुकी है।
जबकि करोड़ों रुपए मूल्य की शराब अब भी कॉर्पोरेशन के गोदामों में पड़ी है।
असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर कृष्ण कुमार सिंह के मुताबिक जिन कंपनियों को बाहर शराब बेचनी है, वे प्रोडक्शन कर सकते हैं। बिहार में बिक्री की इजाजत नहीं है। जीपीएस और डिजिटल लॉक गाड़ियों से शराब बिहार के बाहर भेजी जाएगी।