मुंबई: क़र्ज़ में डूबी किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या के पिछले दिनों विदेश चले जाने के बाद से मायूस बैंकों को उस वक़्त कुछ राहत की सांस मिली थी जब माल्या ने क़र्ज़ की सेटलमेंट करने की बात कही थी। लेकिन जब माल्या ने अपने क़र्ज़ के करीब 9000 करोड़ में से 4000 करोड़ देने का ऑफर बैंकों के सामने रखा तो बैंकों का तो जैसे चेहरा उतर गया।
माल्या की तरफ से मिलने वाले ऑफर के बारे में बैंकों ने उस वक़्त कोई टिपण्णी न करते हुए ऑफर के बारे में विचार करने की बात भी कही थी। हालाँकि आज एक मीटिंग के दौरान माल्या को लोन देने वाले बैंक एसबीआई ने ख़ास तौर पर कमेंट करते हुए कहा है कि बैंकों के लिए माल्या का ऑफर कबूल करना बेहद ही मुश्किल है। क्यूंकि बैंक की तरफ से माल्या को दिया गया लोन देश की जनता का खून पसीने की कमाई का पैसा है।
इसके इलावा बैंक के एक आला अधिकारी के कहा है बैंकों के तरफ से माल्या के ऑफर को ठुकराने के पीछे दो ख़ास वजहें हैं जिनमें से पहली वजह यह है कि जितनी रकम को माल्या ऑफर कर रहे हैं उतनी रकम तो बैंकें पहले ही सुरक्षित कर चुकी हैं। इस रकम की जायदाद और कंपनी के शेयर्स के कागज़ात पहले से ही कोर्ट में जमा हैं और उन्हें किसी भी वक़्त रूपये में तब्दील किया जा सकता है।
और दूसरा मल्ली ने अपने ऑफर में यह बात कहीं भी नहीं कही है की वो लोन कितने वक़्त में और किस तरीके से वापिस करेंगे। न तो माल्या ने यह कहा है कि वो एकमुश्त पैसा देंगे और न ही बताया है की पैसा शेयर्स के रूप में देंगे या कैश या किसी और तरीके से।
बैंकों के मुताबिक ऐसी बहुत सी बातें हैं जो सेटलमेंट ऑफर के वक़्त एक बैंक और ग्राहक के बीच में सामने राखी जाती हैं जिनका ज़िक्र माल्या ने नहीं किया इस लिए उनके ऑफर को स्वीकार करना बैंकों के लिए बेहद मुश्किल है।