मनचर्याल 08 जुलाई: माह रमज़ान उल-मुबारक के दौरान रोज़ा और नमाज़ की बड़ी फ़ज़ीलत क़ुरआन शरीफ़ से साबित है। क़ियामत के दिन रोज़दारों का आला मुक़ाम होगा। अल्लाह ताअला ने रमज़ान के रोज़ें की काफ़ी एहमीयत बयान की है।
जो कोई मोमिन बिलाउर्ज़ रमज़ान के रोज़ों को छोड़ेगा गुनहगारों में शुमार होगा। लाज़िमी वजूहात पर ही रोज़ा छोड़ने का हुक्म है। और वो रोज़ा दुबारा रखना होगा।
ये बात अमीर मशरिक़ी ज़िला आदिलाबाद जमात-ए-इस्लामी हिंद नजम उद्दीन अरशद ने बाद नमाज़ मग़रिब जाम मस्जिद मनचर्याल में जलसे इस्तिक़बाल माह ए रमज़ान उल-मुबारक को मुख़ातब करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि हम तमाम मुसलमान माहे रमज़ान की क़दर करें और अल्लाह की ख़ुशनुदी हासिल करें। यक़ीनन माहे रमज़ान बाबरकत महीना है जिस में रोज़ा दारों के तमाम गुनाहों को माफ़ किया जाता है।
अल्लाह ताअला बंदों को जो एक माह के रोजे रखते हैं और इबादतों का एहतेमाम करते हैं उन्हें साल भर के रोज़ों और इबादात का सवाब अता किया जाता है।
जलसे का आग़ाज़ करा कलाम पाक से हुआ। इस जलसे से मुफ़्ती मशकूर अहमद क़ासिमी इमाम-ओ-ख़तीब जाम मस्जिद मनचर्याल ने अपने ख़िताब में मुक़द्दस माह रमज़ान के रोज़ों और दुसरे इबादात के अलावा नमाज़ तरावीह की फ़ज़ीलत को तो तफ़सीली तौर पर बयान किया।
उन्होंने तमाम मुसलमानों बालिग़ मर्द-ओ-औरत से अपील की के वो माह रमज़ान की क़दरदानी करें और महीना भर रोज़ा और इबादात में गुज़ारें ताके अल्लाह ताअला की ख़ुशनुदी हासिल की जाये इस लिए कि हमारे सारे आमाल का दार-ओ-मदार और हमारी कामयाबी अल्लाह ताअला की रज़ा में ही है।
इशा से पहले जलसे का इख़तेताम अमल में आया। अमीर मुक़ामी जमात-ए-इस्लामी मनचर्याल मुहम्मद ज़की उद्दीन ने हदया तशक्कुर पेश किया।