मिड डे मील: चार हजार स्कूलों में नहीं बना खाना

बिहार प्रायमरी असात्ज़ा यूनियन के एलान का असर दूसरे दिन भी दिखा। जुमा को पूरे रियासत में तकरीबन चार हजार स्कूलों में मिड डे मील मंसूबा के तहत खाना नहीं बन सका। जुमेरात को नौ हजार स्कूलों में खाना नहीं बना था। महकमा की दबिश या कार्रवाई करने के डर से दूसरे दिन कुछ स्कूलों के असात्ज़ा ने खाना बनवाया।

आज बुलाई असात्ज़ा यूनियनों की बैठक

इधर हुकूमत ने इस मुद्दे पर बहस के लिए असात्ज़ा यूनियनों की सनीचर को बैठक बुलाई है। वजीर ए आला नीतीश कुमार ने असात्ज़ा की तरफ से मिड डे मील का बायकाट करने को गलत 0 बताया और मुत्बादिल इन्तेज़ामात होने तक तावुन करने की दरख्वास्त की। जुमा को असेंबली अहाते में कहा कि यह एक कौमी मंसूबा है और इसे चलाना हम सबके लिए चैलेन्ज है। खाना बनवाने के काम से असात्ज़ा को अलग रखना चाहिए। उनसे सिर्फ पढ़ाने का काम लेना चाहिए। खाना बनाना आसान काम नहीं है। इसमें और ज्यादा लोगों को लगाना होगा। हम चाहेंगे की इस तरह की नेजाम हो, जिसमें किसी तरह की हादसा की गुंजाइश नहीं रहे।

गरीबों के साथ मजाक

मर्क़ज की तरफ से ग़ुरबत को लेकर मुक़र्रारा मयार पर वजीर ए आला ने कहा कि यह गरीबों के साथ मजाक है। दिल्ली के रकाबगंज समेत कई गुरुद्वारों में लंगर में मुफ्त में खाना मिलता है। इसका मतलब यह नहीं है कि तमाम को मुफ्त में खाना मिलता है। खाना का मतलब सिर्फ कैलोरी नहीं है। 2008 में पटना में बैन अल क़वामी कांफ्रेंस मुनाकिद कर गरीबी पर तफसील से बहस की गयी थी। इसका जो नतीजा आया था, उसे वजीर ए आज़म को भी भेजा गया था।