नई दिल्ली : तिहाड़ के विभिन्न जेलों में बंद कश्मीरी कैदियों को तेहाड़ के जेल नंबर-8 में शिफ्ट कर दिया गया है। इसके बाद से इस जेल को ‘मिनी कश्मीर’ नाम से भी जाना जाने लगा है। बताया जाता है कि तिहाड़ की विभिन्न जेलों में बंद इन कश्मीरी कैदियों को पुलवामा हमले के बाद एक ही जेल में इकट्ठा करके रखने का फैसला किया गया था। इसके बाद जिस-जिस जेल में कश्मीरी कैदी बंद थे, उन सभी को जेल नंबर-8 में शिफ्ट कर इस जेल में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल तमाम कश्मीरी कैदियों को भी बंद किया गया है। तिहाड़ जेल में ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक ही राज्य के रहने वाले कैदियों को किसी एक ही जेल में इकट्ठा करके रखा गया हो।
सूत्र की मानें तो इसका एक गलत प्रभाव यह भी पड़ सकता है कि सारे एक जगह इकट्ठा होने से इनमें जो कुख्यात अपराधी हैं, उन्हें देश के खिलाफ या अन्य किसी आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने की साजिश रचने का भरपूर मौका मिल जाएगा। इसके अलावा जेल के अंदर इनके गैंग और मजबूत हो जाएंगे। तिहाड़ जेल प्रशासन के इस कदम को ठीक नहीं मान रहे हैं लेकिन जेल प्रशासन का कहना है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है बल्कि अब इनके ऊपर निगरानी और सुरक्षा रखना दोनों ही आसान हो जाएंगे। इनके ऊपर 24 घंटे सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी रखी जा रही है। बताया जाता है कि तिहाड़ की विभिन्न जेलों में बंद इन कश्मीरी कैदियों को पुलवामा हमले के बाद एक ही जेल में इकट्ठा करके रखने का फैसला किया गया। इसके बाद जिस-जिस जेल में कश्मीरी कैदी बंद थे, उन सभी को जेल नंबर-8 में शिफ्ट कर दिया गया। इनमें जेल नंबर-7, 3 और जेल नंबर-4 समेत कई अन्य जेलों में कश्मीरी कैदी बंद थे।
वैसे, इस मामले में जेल अधिकारियों का कहना है कि कश्मीरी कैदियों की यह शिफ्टिंग पुलवामा हमले की वजह से नहीं की गई है। इसका कारण कुछ और है जिसे मीडिया में डिस्क्लोज नहीं किया जा सकता। हालांकि सूत्रों का कहना है कि असल में पुलवामा हमले के बाद से देशभर में कश्मीरियों के ऊपर हमले होने के डर की बात देखते हुए इनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने की बात कही गई थी, जिसे देखते हुए तिहाड़ जेल में भी बंद तमाम कश्मीरी कैदियों को एक ही जेल में ला दिया गया।
गौरतलब है की फरवरी में जम्मू जेल में बंद 7 पाकिस्तानी आतंकियों को तिहाड़ जेल में शिफ्ट करने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट में याचिका दायर करके कहा है कि ये पाकिस्तानी आतंकी जेल में बंद स्थानीय कैदियों को गुमराह कर रहे हैं। इस याचिका पर न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था।
Supreme Court seeks a response from Centre and Delhi Govt on a plea of Jammu and Kashmir seeking transfer of seven Pakistani terrorists from Jammu jail to Tihar.J&K Govt moved SC seeking their transfer alleging they are indoctrinating local prisoners. pic.twitter.com/U5SL3a9U3h
— ANI (@ANI) February 22, 2019
खबरों के मुताबिक, कोर्ट में जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील शोएब आलम ने बताया कि जम्मू जेल में बंद अलग-अलग संगठनों के आतंकियों को जम्मू-कश्मीर के बाहर शिफ्ट करने की जरूरत है। उनके यहां रहने से कश्मीरी कैदियों का ब्रेनवॉश हो रहा। उन्होंने कहा कि इन पाकिस्तानी आतंकियों को दिल्ली के तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया जाए। अगर तिहाड़ जेल में शिफ्ट करना संभव नहीं है तो फिर उन्हें पंजाब और हरियाणा में शिफ्ट किया जाए।
इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर सरकार ने इनका मुकदमा भी दिल्ली के कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की है। राज्य सरकार के वकील का कहना है कि अगर इन्हें किसी और जेल में शिफ्ट किया जाता है तो कोर्ट से जेल तक लाने के दौरान सुरक्षा में चूक हो सकती है।
बता दें कि जम्मू कश्मीर सरकार ने 14 फरवरी को हुये पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 49 जवानों के शहीद होने की घटना के बाद लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकवादी जाहिद फारूक को जम्मू जेल से किसी और जगह की जेल में शिफ्ट करने के लिये कोर्ट में याचिका दायर की थी। फारूक को 19 मई, 2016 को सुरक्षा बलों ने उस वक्त गिरफ्तार किया था जब वह सीमा पर लगी बाड़ से घुसने का प्रयास कर रहा था।