मिर्रीख़ का मुसाफ़िर हिन्दुस्तानी ख़लाई जहाज़ क़ुव्वत जाज़िबा के दायरे से बाहर

हिन्दुस्तान का मिर्रीख़ का अव्वलीन सफ़र करने वाला ख़लाई जहाज़ आज करा-ए-अर्ज़ के क़ुव्वत-ए-जाज़िबा के दायरे से बाहर निकल गया। 10 माह तवील सफ़र में उसे तक़रीबन 9 लाख 25 हज़ार किलो मीटर का फ़ासिला तै करना पड़ेगा।

इसरो के बमूजब स्यारा मिर्रीख़ के अतराफ़ मदारी गर्दिश करने वाला ख़लाई जहाज़ करा-ए-अर्ज़ के मदार से बाहर निकल कर अब उसकी कशिश-ए-सिक़ल के बाहर भी चला गया। ख़लाई जहाज़ एक बैज़वी मदार पर करा-ए-अर्ज़ के अतराफ़ गर्दिश कर रहा था। उसे अब स्यारा मिर्रीख़ तक पहूंचने के लिए 68 करोड़ किलो मीटर तवील सफ़र करना होगा।

इस के बाद बैन स्यारा जाती इक़दामात के ज़रीये उसे स्यारा मिर्रीख़ के अतराफ़ गर्दिश करने के लिए मदार में नसब किया जाएगा।इसरो ने 4दरमियानी इस्लाहात का मंसूबा बनाया है जिन में से एक 11 दिसम्बर , दूसरा अप्रैल , तीसरा अगस्ट और चौथा 14 सेप्टेम्बर को किए जाऐंगे।अगर सफ़र की सिम्त में कोई इन्हिराफ़ नज़र आए तो उसे दुरुस्त किया जाएगा।