बेकारी, बेरोज़गारी और मुआशी बदहाली के पेट से ज़रायम जन्म लेती है। लिहाजा ज़रूरत इस बात की है की मिल्लत के नौजवान बेकारी में वक़्त को बर्बाद करने से बचें और रिज्क हलाल के हुसूल के लिए रोजगार से जुड़ें। अल्लाह के नबी ने तिजारत को पसंद फरमाया है और इसे बाअस बरकत करार दिया है। लिहाजा नौजवान मिल्लत इसलामिया अपनी हैसियत के मुताबिक तिजारत का अगाज़ करें और छोटी से छोटी तिजारत को भी आर न समझें। चूंकि तिजारत सुन्नत नबवी है। ढकडीहा मस्जिद के खातीब व इमाम मुफ़्ती अमीरुल हसन ने अपने खिताब का इज़हार करते हुये ये बातें कहीं। मौका था ढकडीहा मस्जिद में बावमून इलेक्ट्रॉनिक्स के इफ़्तिताह का जिसका इफ़्तिताह कलमा तइएबा के विरद के साथ दुकान के मालिक नौशाद अहमद की वालिदा आसमा और वालिद अब्दुल जब्बार के हाथों किया गया। नौशाद अहमद ने कहा की मां के कदमों में जन्नत है और मां की दुआओं में असर भी वो औलाद के लिए कबूलियत का दर्जा रखती है जब की बाप की फार्मा बरदारी में बी अल्लाह की खुशनुदी है। इसी सोच के तहत उन्होने अपने वालिदैन के हाथों दुकान का इफ़्तिताह कराया।
उन्होने बताया की यहाँ इलाक़े में अपनी नुईयत के ये पहली दुकान है जहां सभी ब्रांड के कंपनियों का प्रॉडक्ट मुनासिब कीमत पर दस्तयाब हैं