मिस्त्री को पूरा अधिकार दिया था लेकिन वो भरोसा खो बैठे थे: टाटा संस

मुंबई: टाटा समूह ने साइरस मिस्त्री के आरोपों को ‘‘निराधार और दुर्भावनापूर्ण’’ करार देते हुए आज उनकी तीखी आलोचना की और कहा कि मिस्त्री को बतौर चेयरमैन समूह तथा उसकी कंपनियों को नेतृत्व प्रदान करने के पूरे अधिकार दिए गए थे पर उन्होंने निदेशक मंडल के सदस्यों का भरोसा खो दिया था। मिस्त्री द्वारा निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखे पत्र गोपनीय पत्र को सार्वजनिक किये जाने पर समूह की धारक कंपनी टाटा संस ने अफसोस जताया है। इसी पत्र में मिस्त्री ने कंपनी की संचालन व्यवस्था और निर्णयों पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं।

धारक कंपनी की ओर से आज जारी बयान में कहा गया है कि ‘‘यह पत्र निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखा गया था जिसको पूरी तरह गोपनीय बताते हुए भेजा गया था लेकिन उसे अनुचित और अशोभनीय तरीके से सार्वजनिक कर दिया गया।’’ पूर्व चेयरमैन ने यह पत्र पद से हटाये जाने के एक दिन बाद लिखा था।

टाटा समूह की कंपनियों की प्रवर्तक कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान बार-बार समूह की संस्कृति और परंपराओं के विरूद्ध कार्य हुए। टाटा संस ने एक बयान में कहा, ‘‘पत्र में निराधार और दुर्भावनापूर्ण आरो लगाये गये थे। इसके जरिये टाटा समूह, टाटा संस के निदेशक मंडल तथा टाटा समूह की कई कंपनियों तथा कुछ सम्मानित व्यक्तियों के उपर आक्षेप लगाया गया।’’ कंपनी ने मिस्त्री के इस दावे को खारिज कर दिया कि वह ‘निरीह’ चेयरमैन बन गये थे।

बयान के अनुसार, ‘‘कार्यकारी चेयरमैन के रूप में उन्हें समूह तथा उसकी कंपनियों की अगुवाई के लिये पूरा अधिकार दिया गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनको पद से हटाये जाने के बाद ही पूर्व चेयरमैन के विभिन्न क्षमताओं के तहत एक दशक से अधिक समय तक किये गये कारोबारी निर्णय को लेकर आरोप लगाये गये और तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया।’

(भाषा)