मिस्र के नौ मुंतख़ब सदर मुहम्मद मर्सी ने दो साल क़बल पुलिस तशद्दुद से हलाक शूदा नौजवान इन्क़िलाबी ख़ालिद सईद की मौत का सर्टीफ़िकेट जारी करने का हुक्म दिया है। नौजवान ख़ालिद सईद को दो साल क़बल जून 2010 में मिस्र के दूसरे बड़े शहर सिकंदरीया में पुलिस ने ज़ालिमाना तशद्दुद का निशाना बना कर क़तल कर दिया था।
इन की इस तरह बहीमाना अंदाज़ में मौत ही दरअसल छः माह के बाद साबिक़ सदर हसनी मुबारक के ख़िलाफ़ 25 जनवरी इन्क़िलाब का सबब बनी थी। मिस्र के नए सिवीलियन सदर ने इन्क़िलाब के शुहदा के अज़ीज़-ओ-क़ारिब और ज़ख़मीयों के साथ मंगल को ऐवान-ए-सदर में मुलाक़ात की और इस दौरान उन्हों ने मुताल्लिक़ा हुक्काम को मरहूम ख़ालिद सईद की वफ़ात का सर्टीफ़िकेट जारी करने की हिदायत दी । इस मौक़ा पर मरहूम की वालिदा लैला मर्ज़ वक् भी मौजूद थीं। इन से जब डाक्टर मर्सी ने पूछा कि इन का फ़ौरी किया मुतालिबा किया है तो उन्हों ने कहा कि इन के बेटे और दूसरे मुज़ाहिरीन की हलाकतों के ज़िम्मेदारों के ख़िलाफ़ मुंसिफ़ाना अंदाज़ में मुक़द्दमात चला कर उन्हें सज़ाएं सुनाई जाएं।
उन्हों ने बताया कि नौमुंतख़ब सदर मुहम्मद मर्सी उन की ये बात सुन कर हैरान रह गए के इन के मरहूम बेटे का अभी तक मौत का सर्टीफ़िकेट जारी नहीं किया गया क्योंकि इस मुआमले के ज़िम्मेदार स्कियोरटी हुक्काम ख़ालिद सईद की मौत की वजह लिखने से गुरेज़ां थे । ख़ालिद सईद की मौत के बाद भी उन के ख़ानदान के मसाइब ख़तन नहीं हुए थे बल्कि ये सिलसिला दो साल के बाद जारी है और वो आज भी इंसाफ़ के मुंतज़िर हैं।
मरहूम की 6 जून को दूसरी बरसी के मौक़ा पर अलाहराम के अंग्रेज़ी ऐडीशन में उन के बारे में एक रिपोर्ट शाय की गई थी जिस के मुताबिक़ लैला मर्ज़ वक् को ना सिर्फ अपने नौजवान बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त करना पड़ा बल्कि ये इल्ज़ामात भी सुनना पड़ा था कि वो मुनश्शियात का आदी था। मिस्र में साबिक़ सदर हसनी मुबारक के ख़िलाफ़ बरपा शूदा इन्क़िलाब में अहम किरदार अदा करने वाले कारकुन वायल ग़नम ने समाजी रवाबित की वेबसाइट फेसबुक पर हम सब ख़ालिद सईद हैं के उनवान से सफ़ा बनाया था। मज़कूरा सफ़े पर ख़ालिद सईद को इन अलफ़ाज़ में ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश किया गया किहज़ारों मिस्री मर्द और ख़वातीन ख़ालिद सईद की ज़िंदगी और पुलिस तशद्दुद से उन की मौत की याद मना रहे हैं।वो दरअसल मिस्री इन्क़िलाब का पहला शोला जवाला था