मिस्र में जारी शोर्श के बावजूद ग़ासिब मिस्री अफ़्वाज के इंतेज़ामीया और ग़ासिब यहूदी ममलकत इसराईल में एक बार फिर दोस्ताना ताल्लुक़ात ना सिर्फ़ काएम हो गए हैं बल्कि इन में मज़ीद इस्तेहकाम आया है।
दोनों ममलकतें बाहमी दिफ़ाई तआवुन के साथ साथ एक दूसरे के दिफ़ाई मुफ़ादात की तकमील कर रहे हैं। मिस्र में फ़ौजी बग़ावत के एक नतीजा ये निकला कि क़ाहिरा और येरूशलम के दरमियान ताल्लुक़ात मज़बूत हुए हैं।
दोनों ममालिक ना सिर्फ़ अपने गर्मजोशाना ताल्लुक़ात को मख़्फ़ी रख रहे हैं बल्कि दिफ़ाई मुफ़ादात की पासदारी कर रहे हैं। मिस्री जेनरलों के लिए ये ज़रूरी है कि इक़्तेदार की तबदीली को फ़ौजी बग़ावत पर महमूल ना किया जाए।
अगर ऐसा होता है तो अमरीकी क़ानून मिस्र को दी जाने वाली सालाना 3.5 बिलियन डॉलर की इमदाद को गैरकानूनी क़रार दे देगा। मिस्र के साथ ताल्लुक़ात के सर्द पड़ जाने से क़ब्ल हम्मास (क़ाहिरा में इख़्वानुल मुस्लिमीन से मुतास्सिर होकर) ईरान और शाम के दबाव से निकल गया और शामी सदर बशारुल असद की ख़ानाजंगी की मुज़म्मत की।