हुसनी मुबारक के आख़िरी प्रधानमंत्री अहमद शफ़ीक़ को सदारती(राष्ट्रपती) दौड़ में बरक़रार रहने की इजाज़त
क़ाहिरा। मिस्र की सुप्रीम कोर्ट ने आज पिछ्ले साल हुए आम चुनावों को दस्तूर के खिलाफ क़रार दिया और हुक्म दिया कि इस्लाम पसंदों के ग़लबा वाली पार्लीमेंट को खत्म कर दिया जाए। इस हुक्म ने राजनितीक एतबार से बटी मिस्री क़ौम में परेशानी पैदा करदि है।
सुप्रीम दस्तूरी अदालत ने हुसनी मुबारक के आख़िरी प्रधानमंत्री अहमद शफ़ीक़ को राष्ट्रपती दौड़ में बरक़रार रहने की हिदायत दी है। दस्तूरी अदालत ने पार्लीमेंट्री चुनावी क़ानून के बाज़ आर्टीकलस को ग़ैर दस्तूरी क़रार दिया जिस में रास्त वोट निज़ाम की इजाज़त दी गई है।
अदालत ने लोकसभा के एक तिहाई सदस्यों की सदस्सियत खत्म करते हुए जूं ही पार्लीमेंट को खत्म करने का एलान किया, मुल्क भर में परेशानी की कैफ़ीयत दिखाई दी। चीफ़ जस्टिस फ़ारूक़ सुलतान की तरफ से जारी किए गए हुक्म में साबिक़ हुकूमत के लिडरों की चुनाव में शिरकत पर पाबंदी से मुताल्लिक़ क़ानून को दसतुर के खिलाफ क़रार दिया।
अदालत ने पार्लीमेंट के एक तिहाई सदस्यों की सदस्सियत को भी ख्त्म कर दिया है। अदालत के हुक्म में ये भी कहा गया कि जिस क़ानून के तहत पार्लीमेंट्री चुनाव करवाए गए थे, वो दसतुर के खिलाफ हैं। इस लिए मौजूदा पार्लीमेंट दस्तुरी नही है और इस को खत्म करना बहुत जरुरी है।
वाज़िह रहे कि पिछ्ले साल पार्लीमेंट के 508 सिटों की 40 फ़ीसद सिटें इख़वान उल मुस्लिमीन की फ़्रीडम एंड जस्टिस पार्टी को हासिल हुई थीं। अदालत के हुक्म से पुर्व राष्ट्रपती हुसनी मुबारक के दौर के आख़िरी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपती पद के उम्मीदवार अहमद शफ़ीक़ की राष्ट्रपती पद के चुनाव में शिरकत को आईनी तहफ़्फ़ुज़ हासिल होगया है।
इसी दौरान पार्लीमेंट्री चुनाव दुबारा किये जाएंगे।अदालत के इस झगडा खडा करने वाले हुकम पर अपना विचार ज़ाहिर करते हुए हथियार बंद फौज की सुप्रीम कौंसल ने जो मुल़्क की हुक्मराँ फ़ौजी कौंसल है, कहा कि अगर पार्लीमेंट का कोई भी हिस्सा गै़रक़ानूनी है तो पूरी पार्लीमेंट को खत्म किया जाना चाहीए।
अल-जज़ीरा टी वी चैनल ने अहमद शफ़ीक़ के हवाले से उन के पुरजोश हामीयों का इंटरव्यू देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट का ये तारीख़ी फ़ैसला मुल्क में राजनीतीक कमजोरी को दूर करने में मददगार साबित होगा।
अदालत के अहकाम को ब्रहम एहितजाजियों और इख़वान उल मुस्लिमीन के बरहम सदस्यों ने रद कर दिया। ये लोग सदारती इंतेख़ाब(राष्ट्र पती पद के चुनाव) के लिए बनाए गए हाई कमीशन की इमारत में मौजूद थे। इख़वान उल मुस्लिमीन के सदस्यों ने कमीशन के ख़िलाफ़ नारे बुलंद किए क्योंकि इस के बनाए गए अहकाम को ही अदालत ने रद कर दिया है। इख़वान उल मुस्लिमीन ने अपने उम्मीदवार मर्सी को ही दरुस्त सदर क़रार दिया था। इसी दौरान इख़वान उल मुस्लिमीन के सीनीयर लीडर ने कहा कि अदालत का हुक्म एक फ़ौजी बग़ावत के बराबर है।