मिस्र में इन्क़िलाब का अहया ( फिर से आग़ाज़ )

मिस्र में एक नए बोहरान को पैदा करने के लिए फ़ौज को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। अवाम का एहसास है कि 9 माह क़बल सदर हसनी मुबारक को बेदख़ल करने के बाद फ़ौज को इक़तिदार सँभालने का मौक़ा दे कर बहुत बड़ी ग़लती की गई है। इक़तिदार को जमहूरी तौर पर मुंतख़ब एक सीवीलीयन हुकूमत के हवाले करने का अमल सुसत रवी से किया जा रहा है। अब तहरीर स्कोएर पर जमा मिस्र के अवाम की एक ही आवाज़ बुलंद होरही है कि वो फ़ौजी हुकूमत की बजाय सीवीलीयन हुकूमत चाहते हैं।

फ़ौज ने हसनी मुबारक के इक़तिदार के ख़ातमा के बाद वाअदा किया था कि वो सितंबर तक इक़तिदार को सीवीलीयन के हवाले करेगी। फ़ौज ने इस वाअदा पर अमल करने का इरादा मुल्तवी करदिया। दस्तूर की तदवीन नौ और सदर के इंतिख़ाब के लिए 2013- या इस के बाद इंतिख़ाबात कराने की तजवीज़ ने अवाम को शदीद ब्रहम करदिया है। मिस्र के नए दस्तूर के ज़रीया फ़ौज एक मुंतख़ब सीवीलीयन हुकूमत या शहरी सियासत में मुदाख़िलत का हक़ हासिल करने की कोशिश कररही है। अवाम ने पूरे सब्र-ओ-तहम्मुल के साथ मिस्र के सयासी हालात की तबदीली का इंतिज़ार किया, मगर हसनी मुबारक के इक़तिदार के ख़ातमा के बावजूद भी उन की रोज़मर्रा ज़िंदगी के मसाइब का ख़ातमा नहीं हुआ तो उन की बेचैनी में शिद्दत पैदा हुई।

तहरीर स्कोएर पर फिर एक बार अवाम का हुजूम जमा हुआ है। अब उन की लड़ाई आमिरीयत पसंद हुकमरान के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि फ़ौजी हुकमरान के ख़िलाफ़ है। मिस्र में एक मुख़्तसर वक़फ़ा के दौरान इतनी बड़ी तबदीली हालात की अबतरी का सबूत है। मिस्र की सड़कों पर हज़ारों अफ़राद का जलूस और एहतिजाज पुरतशदुद रुख इख़तियार करता जा रहा है। फ़ौजी ज़ेर क़ियादत उबूरी फ़ौजी हुकूमत का फ़रीज़ा था कि वो हसनी मुबारक को बेदख़ल करने के बाद मिस्र में जल्द से जल्द इंतिख़ाबात करवाकर एक शहरी मुंतख़ब हुकूमत की राह हमवार करती, लेकिन मिस्र के अवाम को ये एहसास शिद्दत से सताने लगा कि फ़ौज की उबूरी हुकूमत अब मुस्तक़िल तौर पर उन को अपना मुतीअ बनाने की कोशिश कररही है।

मिस्र का इन्क़िलाब फ़ौजी जनरलों के लिए तवज्जा तलब है। इस मर्तबा अवाम की बड़ी तादाद हसनी मुबारक के ज़वाल के नारे लगाने की बजाय हुकमरान फ़ौजी कौंसल के इक़तिदार से हट जाने के नारे लगा रहे हैं। कल तक मिस्र से अवाम के इन्क़िलाब की पासबान होने वाली फ़ौज, आज उन के लिए शजर ममनूआ बन गई है। फ़ौजी इक़तिदार की नीयत में ख़राबी को नोट करते हुए इस्लाम पसंदों और आज़ाद ख़्याल अवाम आपस में मुत्तहिद हुए हैं और उन्हों ने तहरीर स्कोएर को फ़ौजी हुकूमत के ख़िलाफ़ मुज़ाहिरों का दुबारा मर्कज़ बनालिया है। दस्तूर के तहत सयासी हुक्मरानी की राह हमवार करना फ़ौज की ज़िम्मेदारी है।

अवाम को एक जमहूरी तर्ज़-ए-ज़िंदगी फ़राहम करने का वाअदा करके फ़ौज ज़्यादा मुद्दत तक हुक्मरानी से चिमटे रहने की कोशिश करे तो ये मिस्र के दस्तूर और क़ानूनी उसोलों के मुग़ाइर है। फ़ौज का काम सिर्फ मलिक के मुफ़ादात का तहफ़्फ़ुज़ करना है। मुल्क में तमाम अवाम को मुत्तहिद रख कर सरहदों की हिफ़ाज़त करते हुए मिस्र के दस्तूरी हुक़ूक़ का तहफ़्फ़ुज़ करना है, लेकिन फ़ौज ने उबूरी हुकूमत की ज़िम्मेदारी पूरी करने के बाद एक शहरी हुक्मरानी के लिए राह हमवार करने में ताख़ीर की है।

इस लिए फिर से इस्लाम पसंद ग्रुपों को दुबारा सड़कों पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा। फ़ौजी हुक्मरानी के ख़िलाफ़ मिस्र की सड़कों पर हज़ारों अवाम ने रिया लियां निकाली। हसनी मुबारक के दौर में एहितजाजियों को फ़ौज की भरपूर हिमायत हासिल थी जिस की वजह से आमिरीयत पसंद हुकमरान के ज़वाल में ताख़ीर नहीं हुई। इस मर्तबा फ़ौज के ख़िलाफ़ अवाम का एहतिजाज तशद्दुद की शक्ल इख़तियार कररहा है। एहितजाजियों को तहरीर स्कोएर से बाहर करने के लिए पुलिस ने कार्रवाई की। पुलिस से अवाम का तसादुम एक ख़राब अलामत है। इस से मलिक के इत्तिहाद को ख़तरा पैदा होसकता है। अवाम की एक बड़ी तादाद ने फ़सादाद पर क़ाबू पाने वाली पुलिस से कई घंटों तक लड़ाई की जिस में ज़ाइद अज़ 800 अफ़राद ज़ख़मी और 22 शहरी हलाक हुए ।

ज़ख़मीयों में 40 पुलिस ओहदेदार भी शामिल हैं। हुजूम को पीछे ढकेलने या उसे मुंतशिर करने के लिए ताक़त का इस्तिमाल किया जाना एक अच्छी अलामत साबित नहीं होगि। क्योंकि इस तरह के तशद्दुद और बदअमनी के बढ़ जाने से मिस्र में इंतिख़ाबात करवाने की कोशिश दिरहम ब्रहम होसकती है। होसकता है कि मिस्र की उबूरी फ़ौजी हुकूमत 28 नवंबर से शुरू होने वाले इंतिख़ाबी अमल को नाकाम बनाने की कोशिश की जा रही हो। मिस्र के अवाम ने फ़ौज के रवैय्या का नोट लेते हुए इस शुबा का इज़हार किया है कि तशद्दुद भड़काकर इंतिख़ाबात को नामुमकिन क़रार दिया जाई।

मिस्र के हालात को अबतर होने से बचाने के लिए फ़ौज फ़ौरी तौर पर सयासी, मज़हबी और समाजी ग्रुपों के नुमाइंदों का इजलास तलब करके इख़तिलाफ़ात और शिकायात को दूर करने की कोशिश करे। फ़ौज को चाहीए था कि वो इस्लामी जमातों और काबीना के दरमयान आईनी तरमीमात पर इत्तिफ़ाक़ राय पैदा करने की कोशिश करे, मगर फ़ौज अपने तैय्यार करदा आईनी तरामीम के नए मुसव्वदा पर ही क़ायम रह कर ज़्यादा से ज़्यादा इख़्तयारात हासिल करना चाहती है, लेकिन मिस्र की सयासी जमातें, मज़हबी और समाजी ग्रुपस ऐसा हरगिज़ होने नहीं देंगे।

इख़वान अलमुस्लिमीन ने 6 अप्रैल को शुरू करदा तहरीक के अहया का ऐलान करते हुए अपने अरकान को दुबारा तहरीर स्कोएर पर जमा होने की हिदायत दी है तो हालात बिगड़ गई। माबाद हसनी मुबारक हुकूमत मिस्र के हालात आलमी ताक़तों के लिए भी गौरतलब हैं, क्योंकि अरब मुल्कों में बदअमनी बहरहाल उन के मफ़ादात के दायरा को महिदूद करदेगी ।