जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर मौलाना सय्यद जलाल उद्दीन उमैरी ने एक प्रैस बयान में इख़वानुल मुस्लिमीन के पुरअमन मुज़ाहिरीन पर मिस्री फ़ौज की बरबरियत और वहशियाना फायरिंग की पुरज़ोर अलफ़ाज़ में मुज़म्मत की।
खबर के मुताबिक़ मैदान मस्जिद राबिया में मौजूद हज़ारों निहत्ते और पुरअमन मुज़ाहिरीन पर फ़ौज ने बुलडोज़रों और आर्म्ड गाडियों से धावा बोल दिया और हेलीकॉप्टरों के ज़रिया आसमान से फायरिंग की जिस के नतीजे में सैंकड़ों मुज़ाहिरीन शहीद और हज़ारों ज़ख्मी होचुके हैं जिन में ख़वातीन और बच्चे भी शामिल हैं।
अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद ने अपने बयान में मिस्री फ़ौज के इस इक़दाम को ज़ालिमाना ग़ैर अख़लाक़ी और ग़ैर इंसानी क़रार दिया। अमीर जमात ने कहा कि फ़ौज को अव्वलन तो ये हक़ हासिल नहीं था कि वो आईनी और जमहूरी तौर पर मुंतख़ब सदर को फ़ौजी बग़ावत के ज़रिया बरतरफ़ करे दूसरे इस गै़रक़ानूनी और ग़ैर जमहूरिया इक़दाम पर एहतिजाज करने वाले हज़ारों पुरअमन मुज़ाहिरीन पर जो गुजिश्ता एक माह से लाखों की तादाद में क़ाहिरा के मैदान राबिया में मौजूद हैं जिन में ख़वातीन बच्चे और बूढ़े शामिल हैं फ़ौज की ज़ालमा ना कार्रवाई का कोई अख़लाक़ी और क़ानूनी जवाज़ नहीं है।
अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद ने मिस्री फ़ौज की इस वहशियाना कार्रवाई पर अमेरिका मग़रिबी और बाज़ मुस्लिम ममालिक की मुजरिमाना ख़ामोशी पर भी हैरत का इज़हार किया। अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद ने हक़ूक़-ए-इंसानी के आलमी इदारों और अक़वाम-ए-मुत्तहिदा से अपील की कि वो फ़िलफ़ौर मुदाख़िलत कर के फ़ौज की इस यकतरफ़ा और ज़ालिमाना कार्रवाई को रुकवाए ताकि मिस्र को ख़ानाजंगी की तरफ़ बढ़ने से बाज़ रखा जा सके।
अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद ने हकूमत-ए-हिन्द से भी मांग किया कि एक जमहूरिया और आज़ाद मुल्क होने की हैसियत से वो अपनी अख़लाक़ी और आईनी ज़िम्मेदारी पूरी करे और मिस्र के हालात पर ख़ामोश ना बैठे बल्कि दीगर आलमी इदारों अक़वाम-ए-मुत्तहिदा और ना वाबस्ता ममालिक की तहरीक (NAM) के ज़रिया इस कार्रवाई को रुकवाए और जमहूरियत की बहाली के लिए इक़दाम करे।