मीडिया अपनी रिपोर्टिंग में दयानतदार नहीं: पारेकर

वज़ीर आला गोवा मनोहर पारेकर ने आज मीडिया पर इल्ज़ाम आइद किया कि वो मुबय्यना तौर पर अपोज़ीशन से रक़ूमात ऐठते हुए पेड न्यूज़ को तक़वियत दे रहे हैं। इतवार के रोज़ एक तक़रीब से ख़िताब करते हुए उन्होंने सहाफियों को रास्त तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए उनसे पूछा कि आख़िर उनकी तालीमी लियाकत किया है ?

उनकी माहाना तनख़्वाह किया है ? एक न्यूज़रीडर कितना कमालेते है ? शायद 25000 रुपये माहाना सहाफियों की ज़्यादा तादाद ग्रेजवेशन की हुई है। इस बिरादरी का शुमार मुफ़क्किरीन या दानिश्वरों में नहीं किया जा सकता। उन्होंने वाज़िह तौर पर कहा कि गोवा में पैसे लेकर खबरें शाय करना आम बात है।

कांग्रेस को भी दरपर्दा तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि कौनसी सियासी जमात कौनसा अख़बार चलाती है और हम ये भी जानते हैं कि कौनसे अख़बार को कौनसी सियासी पार्टी की सरपरस्ती हासिल है।

उन्होंने कहा कि मीडिया का एक हलक़ा ऐसा भी है जो उनकी हुकूमत के ख़िलाफ़ अपनी रिपोर्टस तय्यार करने में पेश पेश है और अपोज़ीशन से साज़ बाज़ करते हुए हमारी हुकूमत के ख़िलाफ़ मुसलसल बकवास किए जारहा है। उन्होंने कहा कि सहाफियों को किसी भी ख़बर की तय्यारी करते हुए अपने शख़्सी तजुर्बा और काबिलियत का इस्तिमाल भी करना चाहिए। अगर वो ख़बरों में तंज़-ओ-मज़ाह की चाशनी के ख़ाहिश‌ हैं तो इस के लिए भी उन्हें अपनी सलाहियतों को बरुए कार लाने की ज़रूरत है।

किसी भी लीडर या आला शख्सियत के बारे में तहरीर करते हुए उन्हें ये नुक्ता कभी फ़रामोश नहीं करना चाहिए कि मज़कूरा शख्सियत कितनी बा रसूख़ है। याद रहे कि इसे पहले हरियाणा के रोहतक डिस्ट्रिक्ट में आम आदमी पार्टी लीडर और दिल्ली के साबिक़ वज़ीर आला अरविंद केजरीवाल ने भी मीडिया पर ज़बर्दस्त तन्क़ीद की थी और कहा था कि उन पर तन्क़ीद करने के लिए मीडिया को कांग्रेस से पैसा मिलता है।

मीडिया से कहा जाता है कि वो राहुल गांधी और बी जे पी के वज़ारत-ए-उज़मा के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुलि बांध दें और इसके बदले मोटी मोटी रक़ूमात दी जाती है।