नई दिल्ली 05 नवंबर ( पी टी आई) हुकूमत के पास मीडीया की आज़ादी को सल्ब करने का कोई मंसूबा नहीं है लेकिन वो इलैक्ट्रॉनिक मीडीया के लिए एक ख़ुदकार रैगूलेटरी निज़ाम लाना चाहती है ताकि मीडीया के मुक़द्दमात और इन्फ़िरादी अफ़राद की तौहीन से गुरेज़ किया जा सके और ख़बरों को सनसनीखेज़ बनाने के चलन को रोका जा सकॆ।
इस बात को वाज़िह करते हुए वज़ीर-ए-इत्तलात-ओ-नशरियात अमबीका सोनी ने कहा कि अज़ ख़ुद रैगूलेशन या पाबंदी से ऐसी सूरत-ए-हाल पर क़ाबू पाने में मदद मिलेगी जिस से हालात अबतर होते हैं।
हुकूमत से मुझे हिदायत मिली हैं कि मैं नाज़रीन को ज़हन में रखते हुए कोई सनसनी ख़ेज़ी पैदा ना करने के लिए एक मज़बूत ख़ुदकार क़वाइद की हौसलाअफ़्ज़ाई करूं। टी वी चैनलों को 10 साल के बाद लाईसैंस के अहया के तहत हाल ही में हुकूमत ने रहनुमा या ना ख़ुतूत जारी किए थे जिस के बाद टी वी चैनलों में अंदेशे पैदा होगए थे कि ये मीडीया की आज़ादी को सल्ब करने की कोशिश है।