हैदराबाद 08 अप्रैल: सनसनीखेज़ ख़बरों के नाम पर हिन्दुस्तानी ज़राए इबलाग़ की तरफ से ग़ैर ज़िम्मा दाराना रवैया इख़तियार करते हुए मुल्क के एक तबक़ा को दहश्तगर्द क़रार देने की कोशिश की जा रही है जो के मुल्क की सालमीयत के लिए ख़तरा साबित होसकती है।
जस्टिस मारकंडे काटजू ने आज दी हिन्दु और हेल्प् हैदराबाद के इश्तिराक से तुराब अली ख़ां भवन सालार जंग म्यूज़ीयम में मुनाक़िदा एक समपोज़ीम के दौरान ये बात कही।
उन्हों ने बताया कि हिन्दुस्तानी ज़राए इबलाग़ मुसलमानों को बुराई की अलामत के तौर पर पेश कररहा है जोकि उन की ग़ैर ज़िम्मा दारी का सबूत है।
उन्हों ने बताया कि जब कहीं कोई बम धमाका या दहश्त गिरदाना हमला होता है तो फ़ौरी तौर पर ज़राए इबलाग़ इंडियन मुजाहिदीन या हरकत उल-जिहाद इस्लाम या जैश मुहम्मद जैसे नामों के ज़रीये इन हमलों को मख़सूस तबक़ा से जोड़ने की कोशिश शुरू करदेते है जो कि मुल्क के अवाम में तबक़ा के ख़िलाफ़ जज़बात पैदा होने का सबब बन रहे हैं।
उन्हों ने बताया कि ज़राए इबलाग़ इदारे अपनी ख़बरों की सनसनी को बरक़रार रखने के लिए दूसरे दिन किसी एस एम एस या ई मेल के हवाले से वही ख़बर जारी रखे हुए होते हैं।
उन्हों ने ग़ैर ज़िम्मेदार ज़राए इबलाग़ इदारों पर हिन्दुस्तानी अवाम के दरमयान फ़िर्कावाराना मुनाफ़िरत फैलाने का इल्ज़ाम आइद करते हुए उन से इस्तिफ़सार किया कि आया वो मुसलमानों को शैतान क़रार देना चाहते हैं?। उन्हों ने बताया कि मीडीया पर बड़ी ज़िम्मेदारीयां आइद होती हैं जब कभी ख़बरें शाय हूँ या नशर की जाएं तो उन की पहले तहक़ीक़ कर लेनी चाहीए चूँके ख़बरें समाज पर जो असर करती हैं इस के नताइज से बे परवाह होकर ख़बरों की इशाअत या नशरियात समाज के लिए नुक़्सानदेह साबित होती हैं।
जस्टिस मारकंडे काटजू ने बताया कि जिस तरह से ज़राए इबलाग़ इदारे मुसलमानों के ख़िलाफ़ ख़बरें पेश कररहे हैं वो मुनाफ़िरत फैलाने और एक तबक़ा को निशाना बनाने की कोशिश है।
इस मौके पर कमिशनर पुलिस साइबर आबाद सी एच तिरुमल राव, प्रोफ़ैसर हरगोपाल, सुधारित दी हिन्दु, प्रोफ़ैसर फ़ैज़ान मुस्तफ़ा वाइस चांसलर नलसार यूनीवर्सिटी केराला के अलावा मेजर जी एम कादरी मौजूद थे।
जस्टिस काटजू ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को पागलख़ाना क़रार देते हुए कहा कि मेरा ये ख़्याल है कि पाकिस्तान कोई मुल्क ही नहीं है, जबरन दो ममालिक के अवाम को सरहदों के बीच तक़सीम किया गया है।
उन्हों ने बतायाकि आइन्दा बीस पच्चीस बरसों में पाकिस्तान का वजूद ख़त्म होजाएगा और दोनों ममालिक एक होजाएंगे जो दोनों ममालिक के अवाम की एन ख़ाहिश के मुताबिक़ होगा।
उन्हों ने बताया कि उन्हें यक़ीन है कि दोनों ममालिक के अवाम दोनों ममालिक के हुकमरानों को मुत्तहिद होजाने पर मजबूर करदेंगे। प्रोफ़ैसर फ़ैज़ान मुस्तफ़ा ने मीडीया के तरीका-ए-कार को दहश्तगरदों की मदद पर महमूल क़रार देते हुए कहा कि दहश्तगर्द कहीं बम धमाका या हमला सिर्फ़ इस लिए नहीं करते कि चंद जानें ज़ाए हूँ बल्के उन का मक़सद मुल्क को ख़ौफ़ज़दा करना होता है।
दहश्तगरदों के इस मक़सद की तकमील रास्त दहश्तगर्द तो नहीं कररहे हैं लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडीया उन के इस मक़सद को पूरा करने में तआवुन कररहा है।
प्रोफ़ैसर फ़ैज़ान मुस्तफ़ा ने इलेक्ट्रॉनिक मीडीया को मश्वरा दिया कि ख़ौफ़ज़दा करने की कोशिशों का हिस्सा बनने के बजाये हक़ायक़ से आगही हासिल करने पर तवज्जा दे। कमिशनर पुलिस साइबराबाद सी एच तिरुमल राव ने बताया कि किसी भी दहश्त गिरदाना हमले या बम धमाके के फ़ौरी बाद ज़राए इबलाग़ इदारों को कहाँ से इतेलाआत मिल जाती हैं आज तक पुलिस ओहदेदार भी समझने से क़ासिर हैं चूँके ज़राए इबलाग़ इदारों में आने वाली ख़बरें पुलिस की तहक़ीक़ात में मदद तो फ़राहम नहीं करतीं लेकिन तहक़ीक़ात को गुमराह कुन राह पर डाल देती हैं।
उन्हों ने बताया कि कई मर्तबा ख़बरों की तरदीद को ज़राए इबलाग़ इदारे नजरअंदाज़ करदेते हैं जिस के सबब एक ख़बर जो दिखाई जाती है वो अवाम की नज़र में होती है जो हक़ीक़त से बईद होती है। सी एच तिरुमल राव ने बताया कि ज़राए इबलाग़ का ये रवैया तहक़ीक़ाती इदारों को गुमराह करता रहा है जोके बिलवासता तौर पर दहश्तगरदों की मदद के मुतरादिफ़ है। इस तरह की ख़बरें पेश करने से ज़राए इबलाग़ के इदारों को इजतिनाब करना चाहीए जिस से दहश्तगरदों को फ़ायदा पहुंचे और हक़ीक़ी मुजरिम पुलिस की गिरिफ़त से बचने में कामयाब हो।
प्रोफ़ैसर हरगोपाल ने इस मौके पर अपने ख़िताब के दौरान बताया कि ज़राए इबलाग़ इदारों को ये समझना चाहीए कि मुसलमानों के मसाइल भी आम इंसानों के मसाइल की तरह हैं, वो भी ग़रीब हैं, उन्हें भी मदद की ज़रूरत है और वो भी इस मुल्क में मसावी हुक़ूक़ के साथ ज़िंदगी गुज़ारना चाहते हैं।
उन्हों ने बताया कि ज़राए इबलाग़ का रवैया मुसलमानों को मुश्तबा बनाने की कोशिश नज़र आरहा है, इस रवैये में तबदीली नागुज़ीर है।