मीना में हाजियों का दूसरे दिन रुमी जमार , हज का इख़तताम

मक्का मुअज़्ज़मा 09 नवंबर (पी टी आई) अक़्ता आलम से आए हुए लाखों मुस्लमानों ने दूसरे दिन भी नारॆ तकबीर की गूंज में अलामती शैतानों का कंकरीयां मारें।

ये मनासिक हज का आख़िरी मरहला था। एहराम में मलबूस लाखों मुस्लिम मर्द-ओ-ख़वातीन मिना रवाना हुए और तीन जुमरात (सतूनों) पर जो अलामती शैतान हैं, कंकरीयां मारें।

मनासिक हज का ये आख़िरी मरहला मुसलसल तीन दिन जारी रहता है। इसमें अदीमुल्मिसाल तादाद में हाजियों का इजतिमा देखा जाता है। माज़ी में इसी मौक़ा पर भगदड़ के नतीजा में सैंकड़ों हाजी जांबाहक़ हुए थॆ।

मनासिक हज का ये आख़िरी मरहला पैग़ंबर हज़रत इबराहीम ख़लील-उल-ल्लाह अलैहि अस्सलाम की जानिब से शैतान को कंकरीयां मारने की यादगार है जो कहा जाता है कि उन्हें गुमराह करने के लिए तीन मुक़ामात पर ज़ाहिर हुआ था।

जनवरी 2006-ए-में दाख़िले के पुल पर भगदड़ के नतीजा में 364 हाजी जांबाहक़ हुए थॆ। 2004ए- में 251 हाजी कुचले गए थॆ। हाजी क़ुर्बानी देने के बाद ईद-उल-अज़हा मनाते हैं और मक्का मुअज़्ज़मा और मदीना मुनव्वरा में मुक़ामात मुक़द्दसा की ज़यारत करते हैं।

हज हज़रत इबराहीम ख़लील-उल-ल्लाह अलैहि अस्सलाम की अपने फ़र्ज़ंद हज़रत इसमाईल ज़बीह-उल-ल्लाह अलैहि अस्सलाम को अल्लाह की राह में क़ुर्बान करने केलिए आमादगी की यादगार है।