मीर आलम फिल्टर पंप रुम में शिगाफ़ (सुराख़) , पानी की बेतहाशा बर्बादी,ज़िम्मेदार कौन ..?

एक उसे वक़्त जब पुराने शहर में पीने के पानी के लाले पड़े थे और अवाम को चार-पांच दिन बाद पीने का पानी मिल रहा था , मीर आलम फिल्टर में मुताल्लिक़ा ओहदेदारों (अधीकारीयों) की लापरवाही से यौमिया (रोजाना) पचासों गैलन पानी यूंही बर्बाद हो रहा था और हो रहा है। अफ़सोसनाक पहलू ये है कि पानी जैसी अनमोल क़ुदरती शए (चीज) की बर्बादी का ये सिलसिला एक साल से ज़ाइद अर्से से जारी है मगर मुताल्लिक़ा ओहदेदारों (अधीकारीयों) को इस बात की कोई परवाह नहीं है।

ज़राए के मुताबिक़ ,वाटर पंप रुम जहां एक बड़ा सम्प मौजूद है और पानी लेवल नापने का स्केल , यहां से ही नेशनल पुलिस एकेडमी को पानी की सपलाई अमल में आती है, चूँकि नेशनल पुलिस एकेडमी की जानिब से मज़कूरा (उक्त) महिकमा (विभाग) को पाबंदी से और मोटी रक़म हासिल होती है ,इसलिए दसियों घंटे वहां पानी की सपलाई अमल में आती है , ताहम (लेकिन) बताया जाता है कि तकरीबन डेढ़ साल कब्ल यहां मौजूद सम्प में एक शिगाफ़ (सुराख़) पड़ गया जिस से काफ़ी मिक़दार (मात्रा ) में पानी लिकेज हो कर मज़कूरा (उक्त) सपलाई रूट को नुक़्सान पहुंच रहा था ।

जब इस मुआमले को मुताल्लिक़ा ओहदेदारों (अधीकारीयों) के इल्म में लाया गया तो शिगाफ़ (सुराख़) शूदा सम्प की मुरम्मत के बजाय सम्प में चार ता पाँच फुट लेवल के बाद तकरीबन दस बारह फ़ुट तवील (लम्बे ) पाइप के ज़रीया इस पानी को एक गढ़े में ले जाकर छोड़ दिया गया जिसके ज़रीया रोज़ाना पचासों गैलन पानी यूंही बर्बाद होता रहता है जिस का कोई पुर्साने हाल नहीं ।

ज़राए के मुताबिक़, मीर आलम फिल्टर के जेनरल मैनेजर और डिप्टी मैनेजर को इस हवाले से मुतअद्दिद (कई बार) बार तवज्जा दिलाई गई मगर उसका आज तक कोई असर नहीं हुआ, और पानी की बर्बादी का सिलसिला हनूज़ (अभी भी) जारी है , जिसे ज़ेर नज़र तस्वीर में देखा जा सकता है और जो मैनेजर के दफ़्तर के बाज़ू ही वाक़ै है। दूसरी तरफ़ उसी फिल्टर के अतराफ़-ओ-अकनाफ़ (आजू-बाजू) के इलाक़े , मसलन नवाब साहिब कुंटा ,मुस्तफ़ा नगर , अंसारी रोड , तिगल कुंटा ,सैफी कॉलोनी ,रोशन कॉलोनी , मुहम्मदिया कॉलोनी , गनटाल शाह की दरगाह जैसे इलाक़ों में पानी की सरबराही (सपलाई) का आलम ये है कि कभी तीन दिन तो कभी पाँच पाँच दिन तक नल नहीं खोला गया , यहां तक के अंसारी रोड के बाअज़ हिस्सों में बाअज़ ख़वातीन को शिगाफ़ (सुराख़) शूदा पाइपलाइन के वाल से पीने का पानी हासिल करते देखा गया । इस हवाले से बाज़ू की तस्वीर के साथ चंद रोज़ कब्ल सियासत में एक ख़बर शाय हो चुकी है।

दरअसल ऐसा एक जगह नहीं है बल्कि शहर के बेशुमार मुक़ामात पर पाइपलाइन टूट फूट का शिकार हो चुका है , जिसके नतीजे में पाइपलाइन से पानी लिकेज होकर जाबेजा यूंही बर्बाद हो जाता है ,जबकि दूसरी तरफ़ लोगों को पानी की बूँद बूँद को तरसना पड़ रहा है । ज़राए के मुताबिक़ , मज़कूरा (उक्त) इलाक़े में पानी की कमी और क़िल्लत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस इलाक़े के कई एक अफ़राद गुड़ी के दवाखाने के पास मौजूद सरकारी नल से पानी लाने पर मजबूर हैं , मगर वाटर बोर्ड हुक्काम (अधिकारी) को ना तो अवाम को होने वाली इस अज़ियतनाक (तकलीफ दह ) परेशानी की कोई परवाह है और ना ख़ुद उन के नज़रों के सामने कसीर मिक़दार (मात्रा ) में बर्बाद होने वाले पानी का।