मुंबई की बरसात का क्या है ऐतबार!

मुंबई शहर के बारे में कहा जाता है कि यहां बारिश कब शुरू हो जाए और कब रुक जाए, इस की पेश क़यासी नहीं की जा सकती। (ये कैफ़ियत जून से सितंबर तक बरक़रार रहती है), लेकिन यहां बारिश की आमद आमद के साथ ही किसी त्योहार ( पर्व) की तरह रबड़ के जूते, छतरियां, रेनकोट और बारिश के मौसम में इस्तेमाल होने वाली दीगर ( अन्य/दूसरी) आशिया ( सामान) की खरीदारी की जाती है। जिस तरह ईद-उल-फ़ित्र के लिए मुख़्तलिफ़ दुकानात वाले और दीगर ( दूसरे) ताजरीन ग्राहकों के लिए ख़ुसूसी डिस्क़ाउंट ( छूट) सेल या धमाका सेल हर तरफ़ देखने में आता है।

मुंबई के पाए धोनी, दादर, अबदुर्रहमान स्ट्रीट और दीगर बड़ी मार्केट्स में नई नई डिज़ाइनों की छतरियां और रेनकोट की बड़ी तादाद फ़रोख्त ( बेचने) के लिए लाई जाती हैं। दुकानात के शो केस में बारिश की मंज़र कुशी करते हुए नई डिज़ाइनों की छतरियों और रेन कोट्स की नुमाइश (प्रदर्शन/सजावट) की जाती है। बच्चों के लिए फैंसी रेन कोटस क़ाबिल दीद ( देखने लायक) होते हैं।

इस तरह बारिश के जूतों का भी अलैहदा सेल लगाया जाता है। बात सिर्फ यहीं तक महिदूद ( सीमित) नहीं है बल्कि मुंबई शहर के तकरीबन हर ख़ानगी दफ़्तर में मुलाज़मीन ( नौकर) को उन के इंतिख़ाब (चुनाव) के मुताबिक़ छतरियां या रेन कोटस दीए जाते हैं।

जून से सितंबर लोकल ट्रेनों, बसों, टैक्सियों और आको रिक्शा में सफ़र करने वाले लोग अपने साथ छतरी यह रेंट कोट रखना नहीं भूलते। जिस तरह आज हर आदमी घर से निकलने से क़बल अपने सेल फ़ोन, रूमाल (दस्ती) और जेब में मौजूद पैसे यह पाकेट (जेब) को चेक कर लेता है, बिलकुल इसी तरह यहां छतरी हर एक की शख्सियत का हिस्सा बन जाती है।

नशीबी ( निचले) इलाक़े ज़ेर आब ( में पानी) आ जाते हैं। वहां से गुज़रने के लिए ग़म बूट्स (Gum Boots) का भी इस्तेमाल किया जाता है और इसी तरह ये सिलसिला अरूसुलबिलाद ( जो सब नगरो में दुल्हन की तरह हो) मुंबई में चार माह तक मुतवातिर (लगातार)जारी रहता है।