मुंबई के मुंब्रा टाउन में आलमी मेयार के इस्लामी कल्चरल सैंटर की अनक़रीब तामीर

हुकूमत महाराष्ट्रा ने ज़िला थाने के मुस्लिम अक्सरियती आबादी वाले मुंब्रा में एक इस्लामी कल्चरल सैंटर क़ायम करने का फ़ैसला किया है जो आलमी मेयार के मुताबिक़ अव्वल दर्जा का होगा और जो हिंदुस्तान में अपनी नौईयत का दूसरा इस्लामी कल्चरल सैंटर होगा।

महाराष्ट्रा के नायब वज़ीर-ए-आला अजीत पवार ने कहा कि मुजव्वज़ा इस्लामी कल्चरल सेंटर दिल्ली में मौजूद इस्लामी सैंटर के तर्ज़ पर तामीर किया जाएगा। जिस पर 25 करोड़ रुपये के खर्च‌ होंगे। अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि इस्लामी सैंटर की तामीर से मुस्लिम तलबा में तालीमी पसमांदगी को दूर किया जा सकेगा जिसके ज़रिया वो अपनी मआशी पसमांदगी को भी दूर करसकेंगे।

यही नहीं बल्कि इस तरह मुस्लिम तलबा भी क़ौमी धारे में शामिल होजाएंगे। थाने के लेजिस्लेटर जेतिंदर आहूद ने कहा कि इस्लामी कल्चरल सैंटर के इलावा एक नए आई टी आई, कम्यूनिटी टेक्नीकल कॉलेज और मुस्लिम लड़कियों के लिए हॉस्टल का क़ियाम भी अमल में लाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि मुजव्वज़ा कम्यूनिटी टेक्नीकल कॉलेज की तामीर यूनीवर्सिटी आफ़ मुंबई और दीगर बैनुल-अक़वामी यूनीवर्सिटियों के तआवुन से अमल में आएगी। इस मौक़ा पर वज़ीर-ए‍क़लियती उमूर् नसीम ख़ान भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि इस नौईयत के प्रोजेक्टस के ज़रिया मुस्लिम कम्यूनिटी की तरक़्क़ी को यक़ीनी बनाया जाआए गा।

ख़ुसूसी तौर पर नौजवान तबक़ा को, उन्होंने कहा कि मुल्क के मुस्तक़बिल का दार-ओ-मदार आज के नौजवानों पर ही है। याद रहे कि मुंबई शहर से मुंब्रा का फ़ासिला 15 किलो मीटर है और ये एक ग़नजान आबादी वाला मुस्लिम इलाक़ा है जहां कई फ़लकबोस इमारतें, मसाजिद, मदारिस, स्कूल्स, हॉस्पिटल्स और सिनेमा हॉल्स हैं।

मुंबई की सैंटर्ल रेलवे से मैन लाईन की लोकल ट्रेनों के ज़रिया मुंब्रा पहुंचा जा सकता है जो थाने स्टेशन के बाद कलवा और इसके बाद मुंब्रा उतरते ही ये एहसास होजाता है कि हम एक मुस्लिम अक्सरियती आबादी वाले इलाक़ा में आगए हैं जहां पहाड़ों के दामन में बसाया अब बहुत तरक़्क़ी करचुका है।

2011 की मर्दुमशुमारी के मुताबिक़ यहां की आबादी दस लाख है जिस में 90 फ़ीसद मुस्लमान हैं। इशरत जहां इंकाउंटर के बाद मुंब्रा टाउन मुल्क गीर पैमाने पर मशहूर होगया था जिसे यहां के सुनी मुस्लिम क़ब्रिस्तान में दफ़न किया गया है।