मुंबई के हज़ारों गरीबों की मांग 2011 की घोषणा नहीं, घर चाहिए

मुंबई: मुंबई के हज़ारों गरीब बारिश के मौसम में भी आज 29 जून के रोज़  रास्ते  पर उतर आये थे | मुद्दा था आवास का और जीने का अधिकार का | इन हज़ारों लोगों में भीमछाया  और मंडाला  जैसे बस्तियोंके लोग थे जिनका घर उजाड़ा गया है जो कि अपने हक़ पूर्ती की मांग लेकर आये थे | अन्य कई लोगों को माहूल जैसे पूर्णतः प्रदूषित क्षेत्र में बसा कर बीमारी और मौत के कगार पर धकेल दिया इसलिये भी वहां की महिलाओंका भी बड़ी संख्या में आज बाहर निकलना हुआ |

कई प्रतिनिधि अपने घर और ज़मीन के हक़ के लिए बरसों से लड़ रहे हैं तथा गरीबों के घर उजाड़ने का आधार बनी कट ऑफ डेट 1995 से आगे बढ़वा ली |

कर्नाक बन्दर से निकला हुआ जुलूस जब आज़ाद मैदान पहुंचा भारी वर्षा हुई इसके बावजूद भी लोग डेट रहे | लोगों ने पूरे दिन भर अपनी कहानी, दर्द और समस्याएं सुना दीं | टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज कीअध्यापिका स्वाति बैनर्जी उपस्थित रहकर लोगों के प्रस्तुत किये सवाल और अनुभवों की सुनवाई करती रहीं | मुख्यमंत्री जी ने अपने तय किये अनुसार महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री एवं मुंबई के DPC के चेयरमैन विनोद तावड़े जी एवंमुंबई महानगरपालिका के आयक्त अजय मेहता जी के साथ एक घंटे से अधिक चर्चा चली |

मेधा पाटकर जी के साथ १२ प्रतिनिधियों के समूह ने उन से चर्चा के दौरान कई मुद्दे उठाये और कहा कि हमें इन पर त्वरित निर्णय चाहिए :

मुंबई की तान्सा पाईपलाइन के इर्द गिर्द की बस्तियों को, पाईपलाइन के लिए निवासियों से ख़तरा बताकर जिन्हें माहुल गाँव के पास बसाया गया है , ऐसे करीबन 5000 परिवार आज मौत की कगार पर धकेले गए हैं |यहाँ कोई सुविधायें नहीं हैं तो पुनर्वास ‘कहाँ’ ? वहाँ की HPCL, BPCL,Refineries जैसी सार्वजनिक कंपनियों के अलावा सीलॉर्ड या (Aegies) जैसी निजी कम्पनियों की भरमार से, इस “औद्योगिक क्षेत्र” में पुनर्वास के नामपरप्रदूषण का खतरा मोल लेकर जिन्हें बसाया गया ,उनकी कीमत पर D B Realties जैसे बिल्डर को करोड़ों का TDR मिल गया | यह हकीकत,SRA के गैर कानूनी कृत्य के रूप में 2017 के CAG रिपोर्ट में आई है | लेकिन यहाँपिछले 4 सालों में 100 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गयी | हर परिवार में बीमारी छायी हुई है | टी.बी., चर्मरोग, लकवा, श्वसनरोग फैले और और फैलते जा रहे हैं |

माहुल के प्रतिनिधि रेखा घाडगे, नंदू शिंदे , अनीता ढोले, ने बात रखी | तान्सा पाईपलाइन के लिए 16000 परिवारों के विस्थापन पर सवाल उठाते हुए बी.आर. वर्मा जी ने बताया कि बस्ती को झोंपड़पट्टी में परिवर्तितकरने की बात बेबुनियादी है |

एक तो सालों से भूमि के 6 मीटर नीचे रही पाईपलाइन को भी लोगों से ख़तरा मानना क्या सही है? दूसरा अब टनेल्स का विकल्प नियोजित होकर काम जारी है तो यह सब किसलिए ? निजी ज़मीनपर बसे घर या दुकानों का भूअर्जन तक न करते हुए हराना क्या कानूनी है ? और हज़ारों परिवारों को माहुल में धकेलना तो बिलकुल नामंजूर है | उच्चतम् न्यायालय के आदेश का आधार माहुल में पुनर्वास के लिये ले रहेआयुक्त मेहता जी को जवाब दिया गया कि आप अगर आदेश पढेंगे तो जानेंगे कि न्यायालय ने मरोल, दिंडोशी जैसे स्थानों पर बसाने को कहा था, माहुल में नहीं |एक साथ बसाने के लिए माहुल चुना गया यह भी आयुक्त काकहना रहा |

उसे भी मेधा पाटकर जी ने नकार कर कहा कि HPCL जैसे ने इस क्षेत्र में पुनर्वास का उसी वक़्त असुरक्षितता के कारण विरोध किया था उसका क्या ?और वैसे भी एक साथ तो बसाने की तैयारी है ही नहीं |

रेखाघाडगे और नंदू भाई ने साफ़ कहा हमें तत्काल निर्णय चाहिए | तय हुआ कि शासन माहुल नहीं रहना चाहने वालों को दूसरी जगह बसाने के लिए महानगरपालिका के अलावा,MMRDA व अन्य शासकीय संस्थाओं के उपलब्धमकानों के, जो परियोजना प्रभावितों (प्रकल्पग्रस्तों के) ही लिए बने हैं, खाली हैं ,उन्हें उपलब्ध करने तथा जिन्हें माहुल में रहना नहीं, उन्हें स्थानांतरित करने का सोचे |

6 जुलाई को उच्चा न्यायालय में होने जा रही सुनवाई केदौरान शासन व महानगरपालिका सही भुमिका अदा करे |

महाराष्ट्र शासन से घोषित हुई स्लम सुरक्षा के लिए कट ऑफ डेट पहले 2000 और अब अगर 2011 हुई है तो उसके अमल के लिए क्या तैयारी है? 2000 पहले के घर भी भीमछाया नगर, विक्रोली में कैसे तोड़े गए हैं ?इन सवालों पर जवाब मंत्री महोदय के पास नहीं था |

तेवर के जंगल के नाम पर बस्तियां उजाड़ी जाती हैं तो बड़ी बिल्डिंग्स क्यों नहीं ? बांद्रा कुर्ला कोम्प्लेक्स भी 750 एकड़ तेवर के जंगल काटकर खड़ा किया है और वहीजिलाधिकारी, झोंपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण, मुंबई महानगर विकास प्राधिकरण इत्यादि के कार्यालय हैं | भीमछाया नगर में हुई कार्यवाही वनविभाग ने भी गुंडों का साथ देकर तथा नोटिस में सर्वेक्षण की गलती होकर की है |

इसके प्रति, रोष जगाकर पहले सर्वेक्षण, पात्र लोगों का पुनर्वास, फिर विस्थापन ,आखिर तय हुआ कि डी.पी.सी. मीटिंग के लिए 30 जून याने आज मंत्री महोदय वनविभाग के अधिकारियों सहित बातचीत करवाकर रास्तानिकालेंगे |

चान्द्विली के महेन्द्र और सोमैय्या क्वारी की जनता को, बिना कोई सहकारी सोसायटी, बिना बिल्डर को सहमती, सुमेर कन्स्ट्रकशंस अपनी योजना में खींच रहा है |वहां के गरीब परिवारों के घर भी तोड़े गए थे …इनकेप्रकरणों पर अतिरिक्त जिलाधिकारी से मंत्रीमहोदय बात करवाएंगे |तेवर के पेड़ बचाने हैं तो छेडा नगर(चेम्बूर) के पास के क्षेत्र बचाइये, वनविभाग को हस्तान्तरित करे लेकिन जहाँ 2005 से भी पहले की बस्तियां हैं वहांन्यायालय के आदेश से भी नहीं हटाना है | हम वनविभाग और लोग मिलकर ज़रूर तेवर बचायेंगे, यह बात उदय मोहिले, बिलाल खान  , अंतकला  ताई व मेधा जी ने प्रस्तुत की | वनमंत्री से बातचीत का आश्वासन भी शिक्षामंत्रीने दिया |

आम्बुजवाड़ी सहित अनेक गरीब बस्तियां पानी के लिए तरस रही हैं, जबकि इस सम्बन्धी, उच्च न्यायालय ने हर बस्ती को पानी देने का आदेश भी दिया हुआ है |

हम गरीब बस्तियों का पुनर्वास नहीं, विकास चाहते हैं |52% मुंबई की जनता जबकि 9% ज़मीन पर बसी है तो उनकी ज़मीन बिल्डर को न देते हुए, ज़रूरी है कि वहीँ उनके लिए नया गृहनिर्माण हो |

भूतपूर्वआयुक्त(महानगरपालिका) सुकथनकर , आर्किटेक्ट शिरीष पटेल, आदि विशेषज्ञों के समूह से और हमारे संगठन से विशेष संगोष्ठी इस मुद्दे पर होना और प्रधानमंत्री आवास योजना, हर बस्ती को महानगरपालिका से हरसुविधा, राज्य मानव अधिकार आयोग के आदेश अनुसार होना ज़रूरी है, इस पर भी चर्चा हुई |

यह ज़रूरी है कि मंडाला बस्ती की ओर से ये प्रस्ताव जो पहले राजीव आवास और फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत महाराष्ट्र शासन के समक्ष रखा गया है , उसे विचार में लेकर ज़रूरत हो तो कोई संशोधन केसाथ मंज़ूर किया जाए |

इन तमाम मुद्दों पर जल्दी याने 7 दिन में कोई ठोस निर्णय के  लिए मुख्यमंत्री से चर्चा करना तावड़े जी ने मंज़ूर किया | रैली में निर्धार व्यक्त किया कि माहुल के हज़ारों परिवारों को उनकी सहमती से स्थानांतरित करके उनकीजान  अगर शासन नहीं बचा सका तो अगला कड़ा कदम उठाना पड़ेगा | गरीबों का ,’घोषणा नहीं घर चाहिए’ भी नारा था |

आज 30 जून के रोज़ शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े जी ने विविध अधिकारियों के साथ गरीब बस्तियों के कई मुद्दों पर चर्चा करवायी तथा कानूनी दायरे में ही कार्य करने के आदेश दिए |