मुंबई: नौ साल पहले हुए 7/11 लोकल ट्रेन धमाकों के मामले में आज मकोका कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए 5 मुजरिमों को फांसी की सजा सुनाई, जबकि मामले में सात मुजरिमों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. इस दहशतगर्दाना वारदात में 180 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी.
इस मामले में खुसूसी जज ने गुजश्ता हफ़्ते सज़ा पर दलीलों को लेकर सुनवाई पूरी की. इसमें इस्तेगासा (Prosecutors) ने मुजरिम करार दिए गए आठ लोगों के लिए फांसी और चार को उम्रकैद की सज़ा दिए जाने की मांग की थी.
स्पेशल मकोका कोर्ट ने 23 सितंबर को मामले में सज़ा पर अपने फैसले को 30 सितंबर तक के लिए महफूज़ रख लिया था.
मुजरिमों ने धमाके के मुतास्सिर खानदान वालों से मदद की गुहार लगाई थी और जेल में बंद सभी 12 मुजरिमों ने खत लिखकर कहा कि जिस तरह आप धमाके केमुतास्सिर है वैसे ही हम सिस्टम के मुतास्सिर हैं. हमें इंसाफ दिलाने में मदद कीजिए.
इससे पहले 11 सितंबर के रोज़ अदालत ने 13 मुजरिमों में से 12 को खाती करार दिया था, जबकि एक को बरी कर दिया. 11 जुलाई 2006 को कुल 7 धमाके हुए थे. शाम 6. 23 मिनट से 6.28 मिनट के बीच ये धमाके हुए थे, जिसमें 187 मरे और 817 जख्मी हुए थे. ये धमाके बांद्रा, माहिम, मीरा रोड, माटुंगा, जोगेश्वरी, खार सबवे, बोरीवली में हुए थे. इस आतंकी वारदात में 180 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, जबकि 800 से ज़्यादा लोग ज़ख्मी हुए थे.
7/11 धमाके के मुजरिम
कमाल अहमद मोहम्मद वकील अंसारी
डॉ. तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी
मोहम्मद फ़ैज़ल अताउर रहमान शेख़
एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीक़ी
मोहम्मद मजीद मोहम्मद शफ़ी
शेख़ मोहम्मद अली आलम शेख़
मोहम्मद साजिद मगरब अंसारी
मुजम्मील अतउर रहमान शेख़
सोहेल महमूद शेख़
जमीर अहमद रहमान शेख़
नाविद हुसैन ख़ान
आसिफ़ ख़ान बशीर ख़ान