मुंबई धमाके मुक़द्दमा: मुज़म्मिल अंसारी को उम्र क़ैद की सजा

मुंबई 07 अप्रैल: पूना की एक ख़ुसूसी अदालत ने दिसंबर 2002 और मार्च 2003 के दौरान मुंबई में धमाकों के मुक़द्दमे में 10 के मिनजुमला तीन मुजरिमीन को उम्रकैद की सज़ा दी है जबकि इस मुक़द्दमे के कलीदी मुल्ज़िम साक़िब नाचन को 10 साल की सज़ाए क़ैद दी गई। इन धमाकों के सबब अरूसुलबिलाद दहल गया था और 13 लोग हलाक हो गए थे। पोटा के ख़ुसूसी जज पी आर देशमुख ने कहा कि एक मुजरिम मुज़म्मिल अंसारी (जिसने बम नसब किए थे) ताहयात जेल में रहेगा। जज ने कहा कि अगर किसी शख़्स को फांसी पर लटकाया जाता है तो एक लम्हा से भी मुख़्तसर साअत में इस की ज़िंदगी का ख़ातमा होजाता है और वो (शख़्स) इस जुर्म के मुतास्सिरीन या उनके विरसा को होने वाली ज़हनी अज़ीयत, जज़बाती-ओ-जिस्मानी तकलीफ़ को महसूस नहीं करसकता। दुसरे दो मुजरिमीन फ़रहान खोट और वाहिद अंसारी को भी उम्र क़ैद की सज़ा दी गई है।

दुसरे छः मुजरिमीन को 2 ता 10 साल के बीच मुख़्तलिफ़ मुद्दतों के लिए क़ैद की सज़ा दी गई है। अदालत ने हुक्म दिया कि मुजरिमीन से बतौर जुर्माना वसूल की जाने वाली रक़म लीगल सर्विस अथॉरीटी को दी जाये बक़ीया रक़म इंडियन रेलवेज़ को मिलिंद (धमाका) वाक़िये ख़सारा की पा बजाई के लिए बतौर मुआवज़ा दी जाये। अदालत ने कहा कि जहां तक महलोकीन के विरसा को मुआवज़ा की अदायगी का सवाल है रिकार्ड पर इस की ख़ातिरख़वाह तफ़सीलात नहीं हैं। अगरचे चंद ज़ख़मी गवाहों ने महिकमा रेलवेज़ की तरफ़ से दिए जानेवाले मुआवज़ा की वसूली का एतराफ़ किया। चुनांचे इस वाक़िये के महलोकीन के विरसा ज़ख़मीयों-ओ-दुसरे मुतास्सिरीन को मुआवज़ा की अदायगी में दुशवारी है। अदालत ने डी एल एस ए बंबई को हिदायत की कैके वो मुतास्सिर और विरसा-ए-के लिए मुआवज़ा के ताय्युन का फ़ैसला करे और इस के मुताबिक़ अदायगी अमल में लाई जाये।