नई दिल्ली: मुंबई बम धमाकों के मुजरिम याकूब मेमन की फांसी की सजा पर फिर से गौर करने की दरखास्त को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याकूब मेमन ने अपनी मौत की सजा पर फिर से गौर करने की मांग की थी। कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने से मना कर दिया।
जस्टिस ए आर दवे की सदारत वाली तीन जजों की बेंच ने जुमेरात के रोज़ मेमन की इस दरखास्त को खारिज कर दी। वह इस मामले में महज एक ऐसा मुजरिमहै जिसे मौत की सजा सुनाई गई है।
आली अदालत ने 2 जून 2014 को मेमन की मौत की सजा के अमल पर रोक लगा दी थी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च 2013 को मेमन को सुनाई गई सजाए मौत की तस्दीक की थी।
अदालत ने इस मामले में टाडा अदालत की तरफ से दिगर 10 को सुनाई गई मौत की सजा को घटाकर उम्रकैद में तब्दील कर दिया था जिन्होंने मुंबई में मुख्तलिफ मुकामात पर आरडीएक्स से लदी गाड़ियां खडे किए थे। मेमन ने दाऊद इब्राहिम और फरार मुल्ज़िम अपने भाई टाइगर मेमन के साथ मिलकर मुंबई बम धमाकों की साजिश रची थी।
याकूब पिछले 20 साल से जेल में है। 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग ज़ख्मी हुए थे। इसी मामले में गैर कानूनी हथियार रखने के मुजरिम अदाकार संजय दत्त 6 साल की सजा काट रहे हैं।